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ललित मोदी के इशारे पर महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी को सेज की जमीनें दी गई थी : पायलट

जयपुर : राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने महिन्द्रा सेज की डेवलपर कम्पनी महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी को जन उपयोग (पब्लिक यूटीलिटी) के लिए आरक्षित जमीन को औद्योगिक उपयोग के लिए देने की सरकारी प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. पायलट ने आज एक बयान जारी कर कहा कि सेज में आरक्षित 500 […]

जयपुर : राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने महिन्द्रा सेज की डेवलपर कम्पनी महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी को जन उपयोग (पब्लिक यूटीलिटी) के लिए आरक्षित जमीन को औद्योगिक उपयोग के लिए देने की सरकारी प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

पायलट ने आज एक बयान जारी कर कहा कि सेज में आरक्षित 500 एकड जमीन को प्रदेश सरकार के उद्योग विभाग ने महिन्द्रा सेज की डेवलपर कम्पनी महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी को देने का निर्णय किया है, जबकि वास्तविकता यह है कि इस भू-भाग का उपयोग पार्को, सड़कों, स्कूल, अस्पताल आदि के लिए किया जाना था. प्रदेश की कैबिनेट ने इस जनोपयोग के लिए आरक्षित भूमि के लेंड यूज चेंज को मंजूरी देकर पर्यावरण विरोधी कदम उठाया है. इसका बाजार भाव लगभग 5000 करोड़ रुपये है.

उन्होंने कहा कि कैबिनेट में फैसला तो उक्त भूमि को घरेलू उद्योगों को देने के लिए किया गया था, परन्तु निहित एजेण्डे के तहत इसे महिन्द्रा कम्पनी को ही दे दिया गया. इससे साफ प्रतीत होता है कि महिन्द्रा कम्पनी को सरकार ‘कैपिटल बेनिफिट’ देकर लाभांवित करना चाहती है.

पायलट ने कहा कि वसुन्धरा राजे के पूर्ववर्ती शासनकाल के दौरान सरकार को पर्दे के पीछे से संचालित करने वाले ललित मोदी के इशारे पर महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी को महिन्द्रा सेज की जमीनें दी गई थी. अब इसी कम्पनी को लाभांवित करने के लिए सेज के नियम की अनदेखी की गई है तथा इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में भूमि उपयोग परिवर्तित करने से पहले विधि, वित्त एवं कार्मिक विभाग द्वारा राय लिये जाने की अनिवार्यता की भी अनदेखी की गई है.

पायलट ने कहा कि भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान महिन्द्रा सेज के लिए अजमेर रोड पर किसानों की 3000 एकड जमीन अधिगृहीत की गई थी. इसमें से 1500 एकड जमीन पर सेज बनना था तथा 500 एकड जमीन घरेलू उत्पाद क्षेत्र और 1000 एकड जमीन स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आरक्षित थी.

नियमों के अनुसार, 1000 एकड जमीन में से 45 प्रतिशत पार्क, सड़कों आदि के लिए आरक्षित रहती तथा 20 प्रतिशत जमीन सेज कर्मियों के लिए बैंक, पोस्ट ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, सामाजिक सांस्कृतिक केंद्र, प्रशिक्षण संस्थान तथा 25 प्रतिशत उनके हेतु आवास सुविधा उपलब्ध करवाने तथा 10 प्रतिशत सेज कर्मियों हेतु बाजार विकसित करने के लिए आरक्षित रखनी चाहिए. इसके तहत महिन्द्रा सेज की 650 एकड जमीन आरक्षित होनी थी, जिसमें से 500 एकड जमीन के अतिरिक्त 54 एकड जमीन कम्पनी को दी जा चुकी है.

उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से साफ प्रतीत हो रहा है कि सरकार एक निजी कम्पनी को लाभांवित करने के लिए नियम-कायदों को ताक पर रखकर पूंजीपतियों को संरक्षण देने की अपनी विचारधारा के अनुरुप काम कर रही है.

पायलट ने इस सम्पूर्ण प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि और कितनी निजी कम्पनियों को लाभांवित करने के लिए सार्वजनिक उपयोग की भूमियों का भूमि उपयोग परिवर्तित किया जाने वाला है जिससे पर्यावरण एवं किसानों पर प्रतिगामी असर पडेगा.

उन्होंने आरोप लगाया कि महिन्द्रा सेज को उद्योग विकसित करने के लिए पूर्व में भाजपा सरकार ने जमीन दी थी लेकिन उद्योग विकसित करने के स्थान पर ऐसा प्रतीत होता है कि महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी रियल एस्टेट कम्पनी की तरह काम कर रही है. कम्पनी रियायतों के बावजूद विफल हो चुकी है उसे किसानों के हितों को दरकिनार कर फिर फायदा क्यों दिया जा रहा है, समझ से परे है.

पायलट ने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार द्वारा वर्ष 2013 में लाये गये भूमि अधिग्रहण कानून की अनुपालन हो तो यह समस्त अधिगृहीत भूमि पांच वर्ष के अन्दर औद्योगिक उपयोग में नहीं आने के कारण जिन किसानों से ली गई थी, उन्हें वापस लौटायी जानी चाहिए.

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