मुंबई. केवल इसलाम के बारे में छात्रों को शिक्षा प्रदान करनेवाले मदरसों की मान्यता रद्द करने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय पर नाराजगी के बीच शिवसेना ने शनिवार को कहा कि इस पहल को राज्य में धार्मिक शिक्षा पर आघात के मकसद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. इस बारे में राज्य सरकार के निर्णय का विरोध करनेवालों पर करारा प्रहार करते हुए शिवसेना ने कहा कि विरोध इस आशंका से किया जा रहा है कि अगर मुसलमानों ने स्वतंत्र रूप से सोचना आरंभ किया तब वोट बैंक की राजनीति पर आधारित दलों का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है, सरकार ने अंग्रेजी, विज्ञान और गणित जैसे विषय नहीं पढ़ानेवाले मदरसों को अनौपचारिक स्कूल के रूप में मानने का फैसला किया है. इस पहल को दुर्भावना से प्रेरित या धार्मिक शिक्षा पर आघात के मकसद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. दूसरी ओर, इसे मुसलिम बच्चों को मुख्यधारा में लाने के रूप में देखा जाना चाहिए.मुसलिम समुदाय में शिक्षा की कमी शिवसेना ने जानना चाहा कि मदरसों में पढ़नेवाले बच्चों को मुख्यधारा में लाने में क्या बुराई है? इस पहल में सांप्रदायिकता को फैलाने का प्रश्न कहां उठता है? संपादकीय में कहा गया है, मुसलमान इसलाम, इसलामिक शिक्षा और कट्टरपंथ के बीच फंस गया है. इसलिए, जहां दुनिया हर गुजरते दिन के साथ आगे बढ़ रही है़ मुसलमान अज्ञानता और निरक्षता के बीच फंस गया है. शिवसेना ने कहा कि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि न केवल मदरसा, बल्कि अन्य आस्थाओं में विश्वास रखनेवाले धार्मिक संस्थाओं को भी अनौपचारिक स्कूल की श्रेणी में रखा जायेगा.
मदरसों की मान्यता रद्द करना धर्म विरोधी नहीं : शिवसेना
मुंबई. केवल इसलाम के बारे में छात्रों को शिक्षा प्रदान करनेवाले मदरसों की मान्यता रद्द करने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय पर नाराजगी के बीच शिवसेना ने शनिवार को कहा कि इस पहल को राज्य में धार्मिक शिक्षा पर आघात के मकसद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. इस बारे में राज्य सरकार के […]
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