मुंबईः भाजपा की महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी मदरसों को स्कूल की श्रेणी से बाहर कर दिया है.साथ ही जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे मदरसा के बच्चों को ‘आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रेन’ घोषित करे. महाराष्ट्र सरकार की दलील है कि इससे मदरसा के बच्चों को मेनस्ट्रीम शिक्षा व्यवस्था में लाने में मदद मिलेगी.
सरकार का कहना है कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है. यहां मुख्य धारा की शिक्षा नहीं दी जाती है. इसलिए सरकार मदरसे में पढ़नेवाले बच्चों की गिनती बतौर स्कूली छात्र नहीं करेगी. सरकार के इस फैसले के अनुसार प्रदेश में बने लगभग 1800 मदरसे स्कूल श्रेणी से बाहर हो जाएंगे और इनमें पढ़ने वाले बच्चों को अब छात्रों का दर्जा नहीं मिलेगा.
इधर सरकार के इस फैसले पर मुस्लिम धर्मुगुरुओं ने आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा कि मदरसा शैक्षणिक प्रणाली का सबसे पुराना हिस्सा है. और सरकार का यह फैसला अपने देश के सैक्यूलर ढांचे के खिलाफ है. सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जतायी है.
स्कूली शिक्षा विभाग ने 4 जुलाई को वृहद पैमाने पर एक सर्वे करने की योजना बनाई है जिसमें मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की जानकारी एकत्रित कर इन्हें मुख्यधारा की शिक्षा दिलाने की कोशिश की जाएगी. इस बात की पुष्टि करते हुए राज्य के अल्पसंख्यक मामलों में मंत्री दिलीप कांबले ने एक समाचार पत्र से कहा कि हम इन बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा दिलवाना चाहते हैं.
सर्वे को लेकर उनका कहना था कि यह महज एक सर्वे है और हम किसी भी मदरसे को उनके बच्चों को आम स्कूलों में भेजने के लिए दबाव नहीं देंगे. सर्वे की मदद से हमें पता लगेगा कि मदरसों में वास्तव में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं.