न्यूयॉर्क: अमेरिकी सीमा शुल्क अधिकारियों ने न्यू यॉर्क में रहने वाले पूर्व आर्ट डीलर सुभाष कपूर के खिलाफ तीन वर्ष से चल रही जांच के दौरान भारत के मंदिर से चुराई गई एक कांस्य प्रतिमा बरामद की है.
11वीं या 12वीं सदी की इस प्रतिमा की कीमत करीब दस लाख डॉलर बताई जाती है. अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन के घरेलू सुरक्षा जांच विभाग एचएसआई की सांस्कृतिक संपत्ति यूनिट के विशेष एजेंटों ने बताया कि एशियाई कलाकृतियों के एक अज्ञात संग्रहकर्ता ने चोल वंश के दौर की इस प्रतिमा को प्राधिकारियों के सुपुर्द किया.
करीब ढाई फुट उंची यह प्रतिमा तमिलनाडु के श्रीपुरन्तन गांव के सिवान मंदिर से लूटी गई थी. सीमा शुल्क एजेंटों ने बताया कि संग्रहकर्ता ने वर्ष 2006 में यह प्रतिमा खरीदी थी लेकिन उसे फर्जी दस्तावेज दिये गये थे. संघीय प्राधिकारियों ने कल औपचारिक तौर पर प्रतिमा अपने कब्जे में ले ली.
एचएसआई ने इसके अलावा चोल वंश के दौरान की कम से कम छह अन्य कांस्य प्रतिमाएं भी बरामद कीं. समझा जाता है कि इन्हें भारत सरकार को लौटा दिया जायेगा.
कपूर के खिलाफ एचएसआई ने ह्यह्यऑपरेशन हिडन आईडोलह्णह्ण चला रखा है. कपूर कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां लूटने के आरोप में फिलहाल भारत में जेल में बंद है. पिछले तीन माह में होनोलुलु संग्रहालय और पीबॉडी एसेक्स ने कपूर से मिली अवैध सांस्कृतिक संपत्तियां लौटाई हैं.
एचएसआई, न्यू यॉर्क के रेमंड पार्मेर का कहना है कि दूसरे देश की सांस्कृतिक संपत्तियां चुराना एक भयानक अपराध है. यह तो किसी देश की राष्ट्रीय विरासत लूटना है, खास कर जब चुराई गई कृतियां धार्मिक प्रतिमाएं हों जैसा कि इस मामले में है. वे संग्रहकर्ता की सराहना करते हैं जिसने चुराई गई यह प्रतिमा लौटाने का फैसला किया है.
शहर में ऑर्ट ‘ऑफ द पास्ट’ नामक एक गैलरी का संचालन करने वाले कपूर ने कई लोगों को दुर्लभ कृतियां बेचने के बाद उनके स्रोत के बारे में फर्जी दस्तावेज दिये थे जिनका पता लगाया जा रहा है. संघीय अधिकारियों ने अब तक 10 करोड डॉलर से अधिक मूल्य की 2,500 से अधिक कृतियों का पता लगाया है.
भारत के महावाणिज्य दूत ज्ञानेश्वर मुले ने बताया कि भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस अंतरदेशीय अपराध से जुडे लोगों और उनके सिंडिकेटों का पता लगाने के लिए एचएसआई के साथ सक्रियता से सहयोग करती रहेंगी.