जगुआर लैंड रोवर जैसी कंपनियों को इससे वहां परिचालन करना महंगा हो जाएगा. एक तो कर्ज की दरें ऊंची हो जाएंगी और भारतीय रुपये की हैसियत भी घट जाएगी. टाटा स्टील का यूरो क्षेत्रों में बाजार भी है जबकि कंपनियों के उत्पाद भी यहां पर है. यूरोपीय कंपनी कोरस की खरीददारी के बाद यूरो क्षेत्र में संकट और गहरा सकता है.
जानकारों के मुताबिक, उसी वक्त डॉलर के मजबूत होने से रु पये पर दबाव कायम रहेगा और यह 64 रु पये के स्तर को पार कर सकता है. इससे आयात करने वाली कंपनियां प्रभावित होंगी. यूरोक्षेत्र में परिचालन कर रही कंपनियां या तो सीधे या आयात के जरिये उतार-चढ़ाव से दो चार होंगी. टाटा स्टील के अलावा टाटा मोटर्स की लैंडरोवर और जगुआर जैसी कंपनियों का जहां बाजार है, वहीं, टेल्को में ही उत्पादित होने वाले टाटा मोटर्स की भी प्रतिस्पर्धात्मक भागीदारी यूरोपीय बाजार में दिख रही है और ग्रीस के बाजार पर पड़ने वाले असर से टाटा मोटर्स भी दूर नहीं रह सकेगी. निर्माण क्षेत्र की कंपनी टाटा-हिताची (टेल्कॉन) के भी बाजार का हिस्सेदारी ग्रीक और यूरो क्षेत्र में स्थापित है. ऐसे में इन बाजारों पर असर पड़ने का दूरगामी असर पड़ेगा. इसके हालात पर सारी कंपनियों पर नजरें टिकी हुई है. हालांकि, खुलकर कोई भी कहने को तैयार नहीं है.