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भवन है खंडहर, पढ़ाई भी चौपट
कटिहार: जिला मुख्यालय से आधा किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित ग्रोबर बालिका उच्च विद्यालय की स्थिति बदहाल है. इस बदहाल विद्यालय की स्थिति को सुधारने की दिशा में प्रशासनिक स्तर पर कभी कोई प्रयास नहीं किया गया है. यही नहीं जनप्रतिनिधियों का सिर्फ आश्वासन ही प्राप्त होता रहा है. विद्यालय में छात्रओं की सुविधा के […]
कटिहार: जिला मुख्यालय से आधा किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित ग्रोबर बालिका उच्च विद्यालय की स्थिति बदहाल है. इस बदहाल विद्यालय की स्थिति को सुधारने की दिशा में प्रशासनिक स्तर पर कभी कोई प्रयास नहीं किया गया है. यही नहीं जनप्रतिनिधियों का सिर्फ आश्वासन ही प्राप्त होता रहा है. विद्यालय में छात्रओं की सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. पेयजल, शौचालय की व्यवस्था काफी खस्ताहाल में है. भवन पूरी तरह से जजर्र हालत में है. विद्यालय में खेल का मैदान नहीं है. चाहरदीवारी नहीं रहने की वजह से विद्यालय सुरक्षा के दृष्टिकोण से असुरक्षित है. विद्यालय में सुविधा के अभाव के कारण छात्रएं पढ़ने आना नहीं चाहती हैं.
इसके अलावा अभिभावक भी इस विद्यालय में एडमिशन कराने से कतराते हैं. ग्रोबर बालिका उच्च विद्यालय में नवम वर्ग में 50 व दसवीं में 65 छात्रएं ही नामांकित हैं. मंगलवार को प्रभात खबर की टीम ने जब विद्यालय की व्यवस्था व सुविधाओं का जायजा लिया, तो विद्यालय में एक भी छात्राएं पठन-पाठन के लिए उपस्थित नहीं थी. वहीं सभी शिक्षक ऑफिस में बैठे हुए थे.
संसाधनों का अभाव
विद्यालय में संसाधनों का अभाव है. एक ओर जहां भवन जजर्र है, वहीं दूसरी ओर अर्ध निर्मित भवन को पूरा नहीं किया जा सका है. जिसके कारण वहां जंगल झाड़ उग आया है. वैसे तो पूरे परिसर में ही जंगल झाड़ है. इसकी मुख्य वजह यह है कि इसकी मरम्मत व सफाई के लिए विद्यालय के पास राशि ही नहीं है.
शौचालय व पेयजल का संकट
विद्यालय में पेयजल का संकट है. शौचालय व बाथरूम एक ही है. इसमें छात्रएं सहित विद्यालय के शिक्षक भी संयुक्त रूप से यूज करते हैं. विकास फंड के अभाव में अलग शैचालय की व्यवस्था संभव नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा विद्यालय के ठीक सामने बिहार सरकार की जमीन पर बड़ा गड्ढा है. बरसात के दिनों में काफी पानी हो जाता है. इससे हमेशा यहां खतरा बना रहता है. गड्ढे को भरने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
अनुदान पर संचालित हो रहा विद्यालय
ग्रोबर बालिका उच्च विद्यालय का संचालन सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि पर होता है. अनुदान राशि से ही विद्यालय में कार्यरत प्रधानाध्यापक, शिक्षक व कर्मियों को राशि प्राप्त होती है. इसमें भी विद्यालय में पास करने वाले छात्रओं पर ही अनुदान निर्धारित है. यानी जितनी छात्रएं पास होंगी उसी हिसाब से अनुदान मिलता है. विद्यालय में कम छात्रएं होने की वजह से अनुदान की राशि भी कम प्राप्त होती है. ऐसे में वहां कार्यरत शिक्षकों की स्थिति काफी बुरी है.
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