नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुंहबोली बहन व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के डिग्री विवाद मामले में दायर याचिका को आज पटियाला हाउस अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. अदालत ने कहा कि यह मामला सुनवाई लायक लगता है. अदालत ने इस मामले की सुनवाई की तारीख 28 अगस्त मुकर्रर की है. स्मृति पर आरोप है कि उन्होंने अलग-अलग हलफनामे में अपना शैक्षणिक ब्योरा अलग-अलग दिया.
ध्यान रहे कि पटियाला हाउस कोर्ट स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन ने एक जून को इस मामले में सभी संबंधित पक्षों का दलील सुन ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज उसी मामले में दो बजे फैसला सुनाने वाली है. उनके खिलाफ यह शिकायत अदालत में लेखक अहमर खान ने दायर की थी. उनका आरोप है कि स्मृति ने अलग-अलग जगह अपने शैक्षणिक ब्योरे अलग-अलग दिये.
भारतीय राजनीति का प्रभावी तत्व बना राजनेताओं का डिग्री विवाद
आम आदमी के पार्टी के नेता व दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर प्रकरण के बाद देश में राजनेताओं की कॉलेज व विश्वविद्यालय की डिग्री का मामला गरमा गया है. अब यह भारतीय राजनीति का यह प्रभावी तत्व बनता जा रहा है. दिल्ली से लेकर चुनावी राज्य बिहार तक मे यह मामला गरम है और इस पर जमकर राजनीति भी हो रही है.
इसी क्रम में आज भाजपा की उभरती नेता व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के मामले पर आज अदालत का फैसला आने वाला है. हालांकि स्मृति की डिग्रियों का मामला लंबे समय से उठता रहा है लेकिन अब जितेंद्र तोमर प्रकरण के बाद यह नया रूप ले रहा है. ध्यान रहे पहले ही आम आदमी पार्टी ने कह दिया था कि हम स्मृति ईरानी के डिग्रियों के मामले में तथ्य जुटायेंगे और अपील करेंगे.
क्या है स्मृति ईरानी की डिग्री का मामला
भारतीय जनता पार्टी की उभरती हुई नेता स्मृति ईरानी को अमेठी से चुनाव हारने के बाद भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसा अहम विभाग दिया गया. विभाग के बंटवारे के बाद ही स्मृति ईरानी की योग्यता पर सवाल खड़े होने लगे.स्मृति ईरानी द्वारा चुनाव आयोग को दिए गये हलफनामें बाहर आये और इन हलफनामों में उनकी अलग- अलग शैक्षणिक योग्यता का जिक्र किया गया था. 16 अप्रैल 2014 क अमेठी लोकसभा सीट से नामांकन के लिए भरे गये. हलफनामे में ईरानी ने कहा, डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बैचलर ऑफ कॉमर्स में पार्ट वन पूरा किया है. इससे पहले उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव में दिये गये हलफनामे में 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कॉरेसपॉडेंस से बीए की बात कही थी.
इसके अलावा एक और हलफनामा( 11 जुलाई 2011) गुजरात से राज्यसभा चुनाव के लिए दिया था जिसमें उनकी सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता डीयू के स्कूल आफ कारस्पान्डन्स से बीकाम पार्ट वन की है. अलग- अलग हलफनामों में अलग- अलग जानकारी को लेकर अब स्मृति ईरानी विवादों में है. अगर स्मृति ईरानी के खिलाफ कोर्ट का फैसला आता है, तो उनके अच्छे खासे राजनीतिक करियर पर बट्टा लग जायेगा. केंद्र सरकार सबसे पहले अपने इसी मंत्री को लेकर विवादों में घिरी थी. इनके मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसे अहम पद देने पर भी खूब हंगामा हुआ था. ऐसे में स्मृति पर क्या फैसला आता है इसका इंतजार विरोधियों के साथ- साथ सत्ताधारियों को भी है.स्मृति ईरानी की डिग्री मामले में आज अदालत का फैसला आने की संभावना है.
बिहार में डिग्री विवाद के मामले सुशील मोदी को घेरने की कोशिश
फर्जी डिग्री की आंच से बिहार की राजनीति भी दूर नहीं रह सकी. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी की पत्नी जेस्सी जार्ज पर फर्जी डिग्री रखने का आरोप लगा. इस आरोप ने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी. बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सुशील मोदी को कई नेता बिहार के सीएम उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है ऐसे में सीधे सुशील मोदी पर हमला करके बिहार में भाजपा की पकड़ को कम करने की रणनीति बनायी गयी और सुशील मोदी की पत्नी की डिग्री पर सवाल खड़े किये. इस मामले ने तूल पकड़ा और सुशील मोदी की पत्नी ने उनकी डिग्री पर सवाल उठाने वाले मंत्री रामधनी सिंह के खिलाफ धारा 499 के तहत मानहानि का मुकदमा कर दिया.
सुशील मोदी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा उधर रामधनी सिंह ने भी कहा कि अभी इस मामले में जांच शुरू होनी है. जांच के बाद ही सच सामने आयेगा. श्रीमती जॉर्ज महाराष्ट्र बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन से मैट्रिक और मुंबई विश्वविद्यालय के सोफिया कॉलेज से बीएससी, बीएड और महिला विश्वविद्यालय, मुंबई से एमएससी(केमिस्ट्री), एमएड, नालंदा खुला विश्विद्यालय से एमए (मनोविज्ञान) की डिग्री और पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की है. केंद्र सरकार के केंद्रीय विद्यालय में आठ वर्षो तक सेवा देने के बाद 2003 से पटना विष्वविद्यालय में व्याख्याता और अप्रैल, 2011 से पटना विवि अंतर्गत वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य के रूप में अपनी सेवा दे रही हैं.
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री तावड़े भी घिरे डिग्री विवाद में
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर भी फर्जी डिग्री रखने का आरोप लगा. कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को उठाकर जांच की मांग कर रही है. विनोद तावड़े की इजीनियरिंग की डिग्री को लेकर सवाल खड़े हो रहे है. चुनाव आयोग को सौंपे गये हलफनामे में कहा है कि उन्होंने ज्ञानेश्वर विद्यापीठ से बीई की डिग्री ली है. जबकि इस कॉलेज के इंजीनियरिंग की डिग्री की मान्यता बहुत पहले ही रद्द कर दी गयी. हालांकि तावड़े ने यह साफ करने की कोशिश की कि वहां से कोर्स को मान्यता ना होने के बावजूद भी उन्होंने वहां से कोर्स किया क्योंकि वहां सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि काम करने का तरीका भी सिखाया जाता है. वहां मुझे पढ़ाने का तरीका पसंद आया था इसलिए मैंने वहां एडमिशन करना बेहतर समझा. मुझे गर्व है कि मैं ऐसे कॉलेज से पढ़ा जहां मुझे पढ़ाई के साथ काम करना भी सिखाया गया. दूसरी तरफ कांग्रेस मांग कर रही है सरकार वैसे लोगों को शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ना बैठाये जिनपर ऐसे आरोप लगे हो.
…और, दिल्ली में तोमर ने केजरीवाल को दिया ना भूलने वाला दर्द
दिल्ली में आम आदमी पार्टी का यह दूसरा फेज है पहले 49 दिनों की सरकार में कानूनी मंत्री सोमनाथ भारती विवादों में रहे अब दूसरे फेज में कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर फर्जी डिग्री को लेकर विवादों में है. अरविंद केजरीवाल ने कल विधानसभा सत्र में अपना दर्द सामने रखा और कहा कि किस तरह उन्हें धोखे में रखा गया. उनके सामने जो कागजात पेश किये गये वह गलत थे. अरविंद केजरीवाल ने सदन में विपक्षियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने इस पूरे मामले के सामने आने के बाद जितेंद्र सिंह तोमर से लिखित में सफाई मांगी थी जिसमें तोमर ने यह माना था कि उन पर लग रहे फर्जी डिग्री के आरोप बेबुनियाद है और वह अपनी बेगुनाही साबित कर लेंगे. लेकिन पिछले दिनों मीडिया में चल रही खबरों में अगर सत्यता है तो अब उन्हें लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है.
इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सलाह दी कि मंत्रियों के बहकावे में ना आये और उन्हें पद से हटाकर पूरी जांच करें. गौरतलब है कि जितेंद्र सिंह तोमर पर वकालत की फर्जी डिग्री रखने का आरोप लगा जिसके बाद उनके वकालत के लाइसेंस को बार काउसिंल ने रद्द कर दिया. दिल्ली पुलिस ने भी तत्परता दिखाते हुए मामले की जांच कर रही है.