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आजसू विधायक को सात साल कैद की सजा, सदस्यता गयी

डॉ केके सिन्हा पर हमला व रंगदारी मामले में अदालत का फैसला कमल किशोर भगत के साथ बोदरा को भी सश्रम कारावास रांची : न्यायायुक्त कृष्ण कुमार की अदालत ने डॉ केके सिन्हा पर जानलेवा हमला व रंगदारी मांगने के दोषी विधायक कमल किशोर भगत और जंगल बचाओ आंदोलन के अलेस्टेयर बोदरा को सात साल […]

डॉ केके सिन्हा पर हमला व रंगदारी मामले में अदालत का फैसला
कमल किशोर भगत के साथ बोदरा को भी सश्रम कारावास
रांची : न्यायायुक्त कृष्ण कुमार की अदालत ने डॉ केके सिन्हा पर जानलेवा हमला व रंगदारी मांगने के दोषी विधायक कमल किशोर भगत और जंगल बचाओ आंदोलन के अलेस्टेयर बोदरा को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. दोनों पर 15-15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
दोनों को चार विभिन्न धाराओं के तहत सजा दी गयी है, जो साथ-साथ चलेगी. अदालत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सजा के बिंदु पर सुनवाई की. कहा कि झारखंड में रंगदारी मांगना एक गंभीर समस्या हो गयी है. ये इतने दु:साहसी हो गये हैं कि डॉक्टर के चेंबर में घुस कर रंगदारी मांग रहे हैं. इन प्रवृतियों को रोकना होगा, ताकि समाज में अच्छा संदेश जाये.
दो साल की सजा काट चुके हैं कमल : 28 सितंबर 1993 को कमल किशोर भगत, अलेस्टेयर बोदरा व सुदर्शन भगत पर चिकित्सक डॉ केके सिन्हा से रंगदारी मांगने व उनसे मारपीट करने का आरोप लगा था. इस घटना में डॉक्टर केके सिन्हा जख्मी हो गये थे.
अभियुक्तों पर आरोप है कि उन्होंने चांटा व घूंसे से डॉ सिन्हा पर वार किया था. फायरिंग भी की थी. इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने तीनों की पिटाई की थी, जिसमें एक आरोपी सुदर्शन भगत की मौत हो गयी थी. कमल किशोर भगत इस मामले में लगभग दो साल की सजा काट चुके हैं. मामले में 23 फरवरी 98 को चाजर्फ्रेम किया गया था.
पक्ष-विपक्ष की दलील : इससे पहले बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विक्रांत ने कहा कि लंबे समय समय से उनके मुवक्किल मुकदमा ङोल रहे हैं. उन्हें कई तरह की बीमारियां हैं. अत: उन्हें कम से कम सजा दी जाये. अभियोजन की ओर से पीपी बीएन शर्मा ने कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्तों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए. मामले में अभियोजन की ओर से पांच व बचाव पक्ष की ओर से एक गवाही हुई.
न्याय नहीं मिला, जांच एसआइटी से करायें
‘‘हमारे कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक कमल किशोर भगत को न्याय नहीं मिला. उन्हें फंसाया गया है. उनके साथ न्याय करने के लिए पूरे मामले की एक बार फिर से विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित कर जांच करवायी जाये. डॉ देवशरण भगत, मुख्य प्रवक्ता, आजसू पार्टी
किस धारा के तहत कितनी सजा
धारा 307 /34 (जानलेवा हमला)
सात साल सश्रम कारावास व 10-10 हजार रुपये जुर्माना (जुर्माना नहीं देने पर एक वर्ष साधारण कारावास की सजा)
धारा 387/34 (जान का भय दिखाकर रंगदारी मांगना)
पांच साल सश्रम कारावास व पांच हजार रुपये जुर्माना. (जुर्माना नहीं देने पर छह महीने साधारण कारावास की सजा)
धारा 325/34 (मारपीट कर जख्मी करना)
दो वर्ष सश्रम कारावास
धारा 448/34 (जबरन चेंबर में प्रवेश करना)
छह महीने सश्रम कारावास
13 साल चुनाव नहीं लड़ पायेंगे
रांची : लोहरदगा से आजसू विधायक कमल किशोर भगत को सात वर्ष की सजा सुनाये जाने के साथ ही रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 (जनप्रतिनिधित्व कानून के वर्ष 2010 के संशोधन के अनुसार)के तहत उनकी विधायकी समाप्त हो गयी. नये कानून के अनुसार जनप्रतिनिधि को किसी मामले में दो वर्ष या उससे अधिक की सजा सुनायी जाती है, तो उसकी सदस्यता समाप्त मानी जायेगी. श्री भगत सजा पूरी होने के बाद छह वर्ष तक यानी कुल 13 वर्ष चुनाव भी नहीं लड़ पायेंगे.
हालांकि उनकी सदस्यता समाप्त किये जाने को लेकर औपचारिकता बाकी है. ऐसे में छह महीने के भीतर लोहरदगा विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.
दूसरी बार विधायक बने थे कमल, 592 वोट से जीते थे : कमल किशोर भगत लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक बने. पहली बार 2009 में चुनाव जीते थे.
दूसरी बार 2014 में कांग्रेस के सुखदेव भगत को शिकस्त दी थी. श्री भगत ने 592 वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. पिछले चुनाव में कमल किशोर भगत को 56920 वोट मिले थे, वहीं सुखदेव भगत को 56328 वोट हासिल हुआ था. श्री भगत आजसू के संस्थापक सदस्यों में से हैं.
अब आगे क्या
– विधानसभा को कोर्ट आदेश की कॉपी मिलने पर प्रक्रिया शुरू होगी
– विधानसभा सचिवालय सीट रिक्त होने की सूचना चुनाव आयोग को देगा
– इसके बाद सदस्यता समाप्त होने की अधिसूचना जारी की जायेगी
– अधिसूचना सजा सुनाये जाने की तिथि से जारी होगी
छह महीने
में होगा लोहरदगा विधानसभा का उपचुनाव
‘‘पूरे मामले की जानकरी ली जा रही है. कोर्ट से आदेश की कॉपी मिलने के बाद प्रक्रिया शुरु की जायेगी. दिनेश उरांव, स्पीकर झारखंड
‘‘सजा सुनाये जाने के साथ ही सदस्यता समाप्त मानी जाती है. चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी जायेगी. छह महीने के अंदर लोहरदगा विधानसभा में उपचुनाव कराया जाये.
पीके जाजोरिया, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, झारखंड

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