पटना. केयर इंडिया के टेक्निकल डायरेक्टर डॉ श्रीधर श्रीकांतिया ने कहा कि दो वर्ष तक के बच्चे कुपोषण के अधिक शिकार होते हैं. अभिभावकों को इस दौरान बच्चे के खान-पान का ध्यान रखना चाहिए. छह महीने के बाद बच्चे को घर में बन रहे सभी तरह का खाना खिलाना चाहिए. समाज कल्याण विभाग द्वारा शुरू किये गये बाल कुपोषण मुक्त बिहार अभियान को टेक्निकल सपोर्ट दे रहे डॉ श्रीकांतिया ने बताया कि कुपोषण तीन प्रकार के होते हैं. नाटापन, दुबलापन और कम वजन. पांच साल से छोटे हर 10 बच्चों में से 5 कुपोषित पाये जाते हैं. बिहार में कुपोषण से बच्चों को बचाने के लिए उनके माता-पिता को आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम शिक्षित कर रहीं हैं. आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम को कुपोषण से निजात दिलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें समझाया जाता है कि गर्भवती महिलाओं को क्या आहार लेना चाहिए. केयर इंडिया के कम्यूनिकेशन विशेषज्ञ अमिताब बनर्जी ने कहा कि कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए ‘ बाल कुपोषण मुक्त बिहार ‘ अभियान चल रहा है. आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 0-3 वर्ष के बच्चे-बच्चियों पर केंद्रित यह कार्यक्रम अवश्य ही हमें कुपोषण दूर करने में सहयोग प्रदान करेगा.
छह माह बाद बच्चे को सब कुछ खिलाएं, कुपोषण से मुक्ति पाएं
पटना. केयर इंडिया के टेक्निकल डायरेक्टर डॉ श्रीधर श्रीकांतिया ने कहा कि दो वर्ष तक के बच्चे कुपोषण के अधिक शिकार होते हैं. अभिभावकों को इस दौरान बच्चे के खान-पान का ध्यान रखना चाहिए. छह महीने के बाद बच्चे को घर में बन रहे सभी तरह का खाना खिलाना चाहिए. समाज कल्याण विभाग द्वारा शुरू […]
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