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सदर अस्पताल में सिजेरियन नहीं होने से प्राइवेट अस्पतालों की ले रहीं शरण

सीवान : सदर अस्पताल में आक्रोशित लोगों ने आज से करीब दो माह पूर्व तोड़-फोड़ व आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया था. उस घटना के दो माह बीत जाने के बाद भी सदर अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर चालू नहीं हो पाया. अस्पताल प्रशासन ने विगत दो माह में ओटी चालू करने में कोई दिलचस्पी […]

सीवान : सदर अस्पताल में आक्रोशित लोगों ने आज से करीब दो माह पूर्व तोड़-फोड़ व आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया था. उस घटना के दो माह बीत जाने के बाद भी सदर अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर चालू नहीं हो पाया.
अस्पताल प्रशासन ने विगत दो माह में ओटी चालू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. अस्पताल प्रशासन ने ओटी के क्षतिग्रस्त दरवाजे की भी मरम्मत नहीं करायी है.
ओटी के सब सामान ठीक है. सिर्फ स्टरलाइज्ड करने वाली मशीन, प्रकाश तथा कुछ छोटे-मोटे औजार टूटे पड़े हैं. वहीं आज भी ओटी के बगलवाले कमरे में महत्वपूर्ण कागजात रखे हुए हैं, लेकिन दरवाजा नहीं होने के कारण तेज हवा बहने पर अंदर धूल और पानी अंदर चला जाता है, जिससे कागजात नष्ट हो रहे हैं.
नहीं हो रहा सिजेरियन : मालूम हो कि सदर अस्पताल में प्रत्येक दिन 60-70 बच्चे पैदा होते हैं. विभाग के अनुसार कुल जन्म के पांच प्रतिशत बच्चों का प्रसव जटिल होता है, जिनका सिजेरियन करना आवश्यक होता है.
इस हिसाब से सरकारी अस्पतालों में जन्म लेनेवाले तीन से चार बच्चों का सिजेरियान होना चाहिए. लेकिन ओटी के अभाव में सदर अस्पताल के कर्मचारी सिजेरियान के लिए मरीजों को प्राइवेट में भेजने का बाध्य हैं. इससे जिले में चल रहे जननी बाल सुरक्षा कार्यक्रम की सफलता पर प्रश्न चिह्न् लग रहा है. मालूम हो कि सदर अस्पताल में एक और ओटी है, लेकिन वहां पर सिर्फ नसबंदी का काम होता है. अगर, वहां पर लाइट व स्टरलाइज्ड करने की व्यवस्था हो जये, तो वहां भी छोटे-मोटे ऑपरेशन हो सकते हैं.
सदर अस्पताल के ओटी सहायक मो हबीब ने बताया कि ओटी के खराब सामान की सूची अस्पताल प्रबंधक को उपलब्ध करा दी गयी है. सामान आने के बाद सदर अस्पताल में कार्य शुरू किया जायेगा. उन्होंने बताया कि दूसरा ओटी, जो सदर अस्पताल में है, उसमें संसाधनों की कमी होने के कारण ऑपरेशन करना मुश्किल है.
जिले में सरकारी अस्पतालों की स्थिति
रेफरल अस्पताल-तीन
पीएचसी-16
अनुमंडल अस्पताल-एक
सदर अस्पताल-एक
जिले में एक माह में पैदा होते हैं बच्चे-7116
सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन पैदा होते हैं बच्चे-115 के करीब
क्या कहते हैं अधिकारी
ओटी नहीं चालू होने से मरीजों को परेशानी हो रही है.ओटी चालू करने के संबंध में प्रयास किये जा रहे हैं. बहुत जल्द ही सदर अस्पताल का क्षतिग्रस्त ओटी की मरम्मत कर मरीजों की सेवा शुरू कर दी जायेगी.
डॉ एमके आलम,उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

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