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फादर्स डे आज. देवता के समान है पिता का महत्व
कवि सम्मेलन में कविताओं के माध्यम से पेश की गयी माता-पिता की व्यथा हाजीपुर : फादर्स डे की पूर्व संध्या पर पिता को समर्पित कवि सम्मेलन में नगर के दर्जन भर से अधिक युवा एवं वरिष्ठ कवियों ने एक से बढ़ कर एक कविता की प्रस्तुति कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया. प्रभात खबर, हाजीपुर […]
कवि सम्मेलन में कविताओं के माध्यम से पेश की गयी माता-पिता की व्यथा
हाजीपुर : फादर्स डे की पूर्व संध्या पर पिता को समर्पित कवि सम्मेलन में नगर के दर्जन भर से अधिक युवा एवं वरिष्ठ कवियों ने एक से बढ़ कर एक कविता की प्रस्तुति कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया. प्रभात खबर, हाजीपुर द्वारा अक्षयवट राय स्थित वैशाली कला मंच के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता शिक्षाविद व आरएन कॉलेज हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नवल किशोर प्रसाद श्रीवास्तव ने की एवं संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी व गीतकार मनोरंजन वर्मा ने किया. स्वागत पत्रकार देवेंद्र गुप्त ने किया.
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि शास्त्रों में पिता का महत्व देवता के समान है तथा उनका पूजनीय स्थान है. जो पिता का सम्मान नहीं करता, उनकी गति नहीं हो सकती. युवा कवि अनिल लोदीपुरी की कविताओं से शुरू हुए कवि सम्मेलन में कविताओं की ऐसी रस वर्षा हुई कि उपस्थित श्रोता देर तक भींगते रहे. रंगकर्मी व युवा कवि प्रकाश गौतम ने कविता आज की सोच पर दंग रह जाते हैं, फर्क सोच की सोच का सोच में पड़ जाते हैं. बार-बार कहने पर भी पिता का टूटा चश्मा नहीं बनता, बिना कहे बीवी के रे-वन का चश्मा ले आते हैं कि मार्मिक प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया.
वरिष्ठ रंगकर्मी क्षितिज प्रकाश ने नये वर्ष की आंखें हैं तैर रही पूर्व कथा कहानी, वही कैलेंडर, वही तारीख कालो की काली मनमानी. युवा कवयित्री अलका श्री ने गीत कवित्त आहिस्ता चल जिंदगी कर्ज चुकाना बाकी है, कुछ फर्ज निभाना बाकी है को प्रस्तुत कर दर्शकों की वाहवाही लूटी. प्रो एसएन सरस्वती ने प्रेम से भरी कविता उनको चाहती थी फूलों की मैंने कांटे दिये क्योंकि फूल सूख जाते हैं, कांटा कभी सूखता नहीं पर लोग वाह-वाह कर उठे.
युवा कवि संजय शांडिल्य ने आज अलमारी झारते हुए अखबार के नीचे मिल गयी पिता की तसवीर एवं विजय विनीत ने मां मुस्कुराकर थाम लेती है फाइल और मिट जाती है पापा की थकान सुना कर कार्यक्रम की सार्थकता को सिद्ध करने की कोशिश की. युवा कलाकार दिग्विजय सिंह शेखावत ने गीत मुस्कुराने की वजह तुम हो, गुन गुनाने की वजह तुम हो, जिया जाये न जाये ओर रे पापा सुना कर अपने दर्शकों को ताली बजाने पर विवश कर दिया. डॉ प्रतिभा कुमारी ने स्वरचित गीत नभ के अरे बादल बरसो आज रसीले बादल सुना कर झूमने पर विवश कर दिया.
विशेष अतिथि दिल्ली से आये मनीष मधुकर ने कविताओं के विभिन्न विधाओं और रंगों को प्रस्तुत कर लोगों का दिल जीत लिया. डॉ विजय विक्रम, मेदनी कुमार मेनन, देवेंद्र गुप्त, संचालक मनोरंजन वर्मा ने कविता, गजल और गीत की आकर्षक प्रस्तुति कर कार्यक्रम को यादगार बना दिया. अध्यक्षता कर रहे डॉ श्रीवास्तव ने बज्जिका और उर्दू कविता की प्रस्तुति की.अंत में प्रभात खबर के अमरेश श्रीवास्तव ने उपस्थित अतिथियों, दर्शकों एवं कवि गण का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया.
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