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रमजान के पहले जुमे की नमाज के साथ रोजा शुरू

जहानाबाद : रमजानुल मुबारक का महीना जुमा (शुक्रवार) से शुरू हो गया. गुरुवार की रात सहरी खाकर रोजे की शुरुआत की गयी. इसके पहले विभिन्न मसजिदों में नमाज-ए-तरावीह अदा की गयी. 18 जून को रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की जायेगी. गुरुवार की शाम से ही यहां चहल-पहल शुरू हो गयी. इबादत का […]

जहानाबाद : रमजानुल मुबारक का महीना जुमा (शुक्रवार) से शुरू हो गया. गुरुवार की रात सहरी खाकर रोजे की शुरुआत की गयी. इसके पहले विभिन्न मसजिदों में नमाज-ए-तरावीह अदा की गयी. 18 जून को रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की जायेगी. गुरुवार की शाम से ही यहां चहल-पहल शुरू हो गयी.
इबादत का महीना
रमजान इबादत का महीना है. इसे नेकियों का महीना भी कहा जाता है. सुबह से लेकर देर रात तक अल्लाह की इबादत में मशरूफ रहते हैं. मान्यता है कि इस महीने ईश्वरीय कृपा (रहमत) के दरवाजे खुल जाते हैं. रोजा आत्मा में अच्छाइयों और सद्भावनाओं को जगाने की प्रक्रिया है. कठिन तप है. रोजे के दौरान वजिर्त बातों की तरफ जाना तो दूर, उनके बारे में सोचना भी गुनाह है. दूसरों के बारे में झूठ या तकलीफ पहुंचाने वाली बात कह कर, पीठ पीछे बुराई कर रोजे नहीं रखे जा सकते हैं.
रोशन चिराग है कुरान
रमजान की सबसे बड़ी नेमत कुरान है. लाखों मुसलिमों को यह ग्रंथ याद है. यह पवित्र किताब लोगों के दिलों दिमाग में एक चिराग (दीपक) की तरह प्रकाशित है. मान्यता है कि कुरान रमजान के महीने में ही पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्ल) पर नाजिल हुई थी. इस दृष्टि से रमजान और कुरान का गहरा संबंध है.
कुर्था (अरवल) संवाददाता के अनुसार इसलामिक कैलेंडर के अनुसार साल के 12 महीनों में बरकत का महीना रमजान है. यह महीना शब-ए-बरात के खत्म होने और रमजान का चांद दिखने के साथ शुरू हो जाता है.
उक्त बातें कुर्था मसजिद के मौलाना शमीम रिजवी ने कही. उन्होंने कहा कि रमजानुल मुबारक का महीना मुसलमानों के लिए हक ताला शान्हू का बहुत ही बड़ा इनाम वाला महीना है. पर जब लोगों के जरिये इस इनाम की कदर की जाये.
रमजान का महीना शुरू होते ही जन्नत का दरवाजा खुल जाता है और जहन्नुम का दरवाजा बंद हो जाता है. साथ ही सारे शैतान कैद हो जाते हैं. हादिस शरीफ में बताया गया है कि नवी करीम साहब ने शाबान की आखिरी में बताया करते थे की एक महीना ऐसा आ रहा है, जो बहुत बड़ा महीना रमजानुल मुबारक का है.
इस महीने में रोजा हर बालिग और स्वस्थ मर्द-औरत का फर्ज है. इसे अदा न करनेवाले खुदा की नजर में गुनाहगार है. इस महीने में की गयी इबादत में हर एक शबाब के बदले सत्तर शबाब दिया जाता है. इतना ही एक सुन्नत अदा करने का बड़ा फर्ज का शबाब मिलता है. हदिश के जरिये बताया गया है कि यह महीना गम्खारी का महीना है. इस महीने में मोमिन का रिजक बढ़ा दिया जाता है.
रोजेदारों की तरह इफ्तार करानेवाले को भी शबाब मिलेगा, लेकिन रोजदारों के शबाब में कमी नहीं आयेगी. आगे बताया गया है कि रोजेदारों को भरपेट इफ्तार नहीं करा सकते, तो सिर्फ एक खजूर या एक ग्लास जूस पिला दें. इस महीने में जो भी जितना इबादत करेगा, उसको एक नफिल के बदले 70 फर्ज का शबाब दिया जायेगा.

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