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आरएन कॉलेज में खुलेगी इ-लाइब्रेरी
कॉलेज के छात्र-छात्राएं का होगा शैक्षणिक विकास, मिलेगी नवीनतम जानकारी हाजीपुर : कॉलेजों में लाइब्रेरी शिक्षा की महत्वपूर्ण इकाई होती है, जहां छात्र-छात्राएं अध्ययन के साथ नवीनतम जानकारी प्राप्त करते हैं. यह उनके सांस्कृतिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास में सहायक होता है. कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों, खास कर आर्थिक रूप से कमजोर व असहाय […]
कॉलेज के छात्र-छात्राएं का होगा शैक्षणिक विकास, मिलेगी नवीनतम जानकारी
हाजीपुर : कॉलेजों में लाइब्रेरी शिक्षा की महत्वपूर्ण इकाई होती है, जहां छात्र-छात्राएं अध्ययन के साथ नवीनतम जानकारी प्राप्त करते हैं. यह उनके सांस्कृतिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास में सहायक होता है.
कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों, खास कर आर्थिक रूप से कमजोर व असहाय बच्चों के लिए तो यह काफी महत्वपूर्ण है, जहां से वे अपने सपनों और पढ़ाई को पूरी कर पाते हैं. इसका शैक्षणिक संस्थानों में होना आवश्यक है. आरएन कॉलेज में स्थित आधुनिक और सुसज्जित लाइब्रेरी छात्र-छात्राओं को आकर्षित करती है. वे नियमित रूप से लाइब्रेरी का लाभ उठा रहे हैं. हालांकि पुस्तकों एवं छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार जगह की कमी है.
बावजूद इसके लाइब्रेरी को व्यवस्थित रखा गया है. 1952 में कॉलेज की स्थापना के साथ ही लाइब्रेरी का स्वरूप बदलता रहा है. वर्तमान में प्राचार्य के सहयोग से लाइब्रेरी को आधुनिक स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है. लाइब्रेरी को ऑनलाइन करने की तैयारी चल रही है. बिहार सरकार के अनुदान से 2014 में इ -लाइब्रेरी की शुरुआत की गयी. जगह की कमी के कारण इ-लाइब्रेरी वर्तमान में कॉलेज कैंपस की दूसरी बिल्डिंग में संचालित है. समय-समय पर आयोजित सेमिनार में साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स के विशेषज्ञ छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं.
क्या है वितरण की व्यवस्था और भवन की स्थिति : भवन की स्थिति ठीक है, लेकिन जगह की कमी छात्र-छात्राओं को खलती है. छात्र और छात्राओं के स्टडी के लिए एक ही हॉल में अलग-अलग व्यवस्था की गयी है जबकि उनकी मांग है कि स्टडी के लिए अलग कमरा होना चाहिए. लाइब्रेरियन नहीं है.
लेकिन, प्रभारी लाइब्रेरियन के रूप में संदीप कुमार कार्यरत हैं. छात्रों को कार्ड बना है. जिस पर वे पुस्तक लेते हैं और वापस करने के बाद दूसरी पुस्तक ले जा सकते हैं. प्रतिदिन पचास से अधिक छात्र-छात्राएं स्टडी करते हैं और बच्चे किताब जमा करते और लेते हैं. पुस्तकों के रख -रखाव की भी अच्छी व्यवस्था है. पुस्तकें करीने से अलमारियों में क्रमानुसार सजे हैं जहां बच्चे आसानी से पुस्तकें प्राप्त कर लेते हैं.
क्या कहते हैं लाइब्रेरियन
– छात्र-छात्राओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाता है. छात्र अध्ययन करने के बाद पुस्तक घर भी ले जाते है जिसके लिए विशेष निर्देश होते हैं. पुस्तक लौटाने के बाद ही दूसरी पुस्तक दी जाती है. लाइब्रेरी को सुसज्जित रखने का प्रयास करता हूं ताकि किसी को परेशानी न हो. छात्र-छात्र जगह की कमी की शिकायत तो करते हैं लेकिन जितनी भी जगह है व्यवस्थित है.
संदीप कुमार, प्रभारी लाइब्रेरियन
क्या कहते हैं प्राचार्य
लाइब्रेरी को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है. इंटरनेट से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. इ -लाइब्रेरी का शुभारंभ किया गया है. कॉलेज प्रशासन का प्रयास है कि लाइब्रेरी का लाभ अधिक से अधिक बच्चे उठा पाये. जगह की कमी की शिकायत तो नहीं मिली है लेकिन ऐसा है तो उसे व्यवस्थित किया जायेगा.
डॉ ओमप्रकाश राय, प्राचार्य
क्या कहते हैं छात्र-छात्राएं
– जगह की कमी खलती है. छात्राओं के लिए स्टडी की अलग व्यवस्था जरूर है लेकिन एक ही हॉल में होने से परेशानी होती है. स्टडी के लिए रूम की व्यवस्था होनी चाहिए. किताबें लेने में कोई परेशानी नहीं होती है.
पूजा मिश्र, स्नातक द्वितीय खंड.
लाइब्रेरी को ऑनलाइन करने की तैयारी चल रही है, जिससे काफी सुविधा हो जायेगी. किताब के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता. लाइब्रेरी से पढ़ाई में काफी मदद मिलती है. पत्र-पत्रिकाओं के अलावा सिलेबस से संबंधित किताबों का अध्ययन करती हूं.
सुगंधा, स्नातक द्वितीय खंड.
कॉलेज बिहार विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई है. इंटर से लेकर पीजी तक की पढ़ाई के अलावा व्यावसायिक कोर्स की किताबें लाइब्रेरी में आसानी से मिल जाती है. ज्ञान बढ़ाने का यह माध्यम अच्छा है. कॉलेज में व्यवस्थित लाइब्रेरी का लाभ मिलता है. हालांकि जगह की घोर कमी है.
मिन्नी कुमारी, छात्र पीजी.
इ -लाइब्रेरी के संचालन और इंटरनेट से जुड़ जाने के बाद अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सकता है. व्यवस्था तो ठीक ही है. किसी तरह की परेशानी नहीं होती है. कोर्स पूरा करने के अलावा ज्ञान वृद्धि और शोध में मदद मिलती है.
कुमार वीरू, पीजी
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