कोलकाता. अंधविश्वास के साये में आकर शिक्षित परिवार बिखर गया और नौबत यह है कि उस परिवार के दो लोगों के कंकाल व शव को लेने के लिए दे परिवार में कोई स्वस्थ मानसिकतावाला व्यक्ति नहीं बचा. इस परिवार के एकमात्र सदस्य पार्थ दे को स्वाभाविक जिंदगी में वापस लाने के लिए पैबलब अस्पताल के चिकित्सक प्रयासरत हैं.
इसी के तहत पांच सदस्यों के चिकित्सकों की एक टीम गुरुवार सुबह पार्थ के घर पहुंची. वह अब तक किस माहौल में जी रहा था, इसका अनुमान लगाने के लिए टीम ने एक-एक कमरे को गौर से देखा. पैबलब अस्पताल के अधीक्षक गणोश प्रसाद ने कहा कि पार्थ को अब इलाज के साथ काउंसेलिंग की जरूरत है. पार्थ ड्राइविंग का शौकीन है. चिकित्सक उसके फ्लैट से मिली ड्रॉइविंग बुक अपने साथ ले गये, जो अस्पताल में पार्थ को दी जायेगी.