ए.एन.सिन्हा इंस्टीट्यूट में पीजीवीएस और ऑक्सफैम के तत्वावधान में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि कृषि योजनाओं को महिलाओं को ध्यान में रख कर बनाना होगा. जहां तक हो सके महिला किसानों को और सुविधा मुहैया करानी होगी. इसके बाद जो परिवर्तन दिखेगा,वह दर्शनीय होगा. अल्पसंख्यक आयोग की उपाध्यक्ष सुधा वर्गीज ने बिहार के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महिला किसानों की स्थिति पर विस्तार से बातें रखीं. उन्होंने कहा कि यहां पर नाम महिलाओं का होता है और काम पुरुष करते हैं. किसानी के क्षेत्र में भी यही स्थिति है. संस्थान के निदेशक डीएम दिवाकर ने कहा कि पुरुष किसानों को सशक्त करने की योजनाएं बनती हैं और महिलाओं को नजरअंदाज किया जाता है जबकि घर परिवार चलाने में महिलाओं की महती भूमिका होती है.
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महिला किसान बदल सकती हैं खेती की तसवीर
पटना. महिला किसानों को सशक्त किया जाये,तो सूबे के खेती की तसवीर बदल सकती है. किसानों को जमीन का मालिकाना अधिकार मिले और उन्हें सशक्त किया जाये,तो खेती का परिदृश्य बदल सकता है. यह समाज में तरक्की का जरिया बनेगा. ये बातें कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश ने महिला किसानों की राज्य स्तरीय बैठक को […]
पटना. महिला किसानों को सशक्त किया जाये,तो सूबे के खेती की तसवीर बदल सकती है. किसानों को जमीन का मालिकाना अधिकार मिले और उन्हें सशक्त किया जाये,तो खेती का परिदृश्य बदल सकता है. यह समाज में तरक्की का जरिया बनेगा. ये बातें कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश ने महिला किसानों की राज्य स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहीं.
पटना कॉलेज के प्राचार्य एन के चौधरी ने बताया कि जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देने का काम भूमि अधिकारों को लेकर बने कानून के कारण भी हुआ. बैठक को एससी कमीशन के विद्यानंद विकल व महिला हेल्पलाइन की प्रमिला ने भी संबोधित किया. महिला किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए भी एक सेशन का आयोजन हुआ.
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