आज दुनिया के हालात ऐसे हैं कि कोई भी राष्ट्र शायद ही परमाणु हथियार का इस्तेमाल करे. परमाणु हथियार को कम करने का दुनिया में अभियान चल रहा है. 2010 में जहां पूरी दुनिया में 22,600 परमाणु हथियार थे, 2015 में घट कर 15,850 हो गये.
मणिपुर में हुए हमले के बाद भारतीय फौज ने म्यांमार में घुस कर जो कार्रवाई की, उससे म्यांमार में कम, पाकिस्तान में ज्यादा बौखलाहट है. इसी बौखलाहट में पाकिस्तान आपा खोते हुए परमाणु हथियार के उपयोग की धमकी दे रहा है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा हाफिज हों या फिर पूर्व राष्ट्रपति, जो सेना प्रमुख भी रहे हैं, जनरल परवेज मुशर्रफ, दोनों का यह बयान आया है कि उनके पास जो परमाणु हथियार हैं, वे सजा कर रखने के लिए नहीं हैं. इसका उपयोग वे भारत के खिलाफ कर सकते हैं. पाकिस्तान द्वारा ऐसी धमकी देना कोई नयी बात नहीं है. पाकिस्तान चिंतित है, क्योंकि लंबे समय के बाद भारत ने एक ऐसी कार्रवाई की है, जिसका संदेश वह महसूस कर रहा है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बांग्लादेश की यात्र में जिस प्रकार 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारतीय भूमिका की चर्चा की, उससे पाकिस्तान का घाव ताजा हो गया है. वह आज भी पाकिस्तान के बंटवारे को स्वीकार नहीं कर सका है. यही कारण है कि भारत से बदला लेने के लिए वह कश्मीर में आतंकवादियों को मदद करता है. आतंकवाद का समर्थन करनेवाले देश के रूप में पाकिस्तान दुनियाभर में बदनाम है. भारत में पाक समर्थित आतंकियों ने अनेक हमले किये. भारत को पता है कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी कैंप हैं, लेकिन कभी भी भारत ने सीमा पार कर उन आतंकी कैंपों को ध्वस्त नहीं किया. इस बार जब मणिपुर में हमला हुआ, तो भारत ने कड़ा रुख अपनाया. संभव है कि म्यांमार सरकार की सहमति भी ली हो, लेकिन उनकी सीमा में घुस कर एनएससीएन के उग्रवादियों के दो कैंपों को ध्वस्त कर दिया. इस कार्रवाई के बाद भारत के एक-दो मंत्रियों ने इशारों ही इशारों में पाक को चेतावनी भी दे दी.
यह सच है कि पाकिस्तान बड़ा देश है और म्यांमार नहीं है, जो अपनी जमीन पर कार्रवाई की अनुमति देगा. पाक के पास परमाणु हथियार हैं और अच्छी संख्या में हैं. लेकिन, किसी देश के पास परमाणु हथियार होने का यह अर्थ नहीं हो जाता कि वह अपने पड़ोसियों को धमकाता रहे. ठीक है कि भारत जिम्मेवार देश है और उससे कोई यह उम्मीद नहीं करता कि वह पहले परमाणु हथियार का उपयोग करेगा. परंतु पाकिस्तान को भी समझना चाहिए कि अगर उसने किसी दबाव में एक भी परमाणु हथियार का उपयोग किया, तो भारत की जवाबी कार्रवाई में शायद उसका नामोनिशान मिट जाये. हां, वह बार-बार अपने पास परमाणु हथियार होने की बात कह कर विश्व समुदाय का ध्यान जरूर खींच सकता है, ताकि दुनिया के ताकतवर देश भारत-पाक वार्ता पर जोर दें.
करगिल के युद्ध को छोड़ दें, तो भारत-पाकिस्तान के बीच अंतिम युद्ध 1971 में हुआ था. तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. उनकी अगुवाई में भारत ने युद्ध जीता, पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और नये देश बांग्लादेश का जन्म हुआ था. 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था. उसके बाद 24 साल लग गये अगले परीक्षण में. वाजपेयी सरकार में भारत ने दोबारा परमाणु परीक्षण किया था. उसी समय पाकिस्तान ने भी नवाज शरीफ के शासन में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को यह सबूत दिया कि वह भी परमाणु संपन्न राष्ट्र बन गया है. इसके बाद तो राजनीति ही बदल गयी. वार्ता होती रही. संबंध बनाये जाते रहे. अनेक ऐसे अवसर आये जब पाकिस्तान ने भारत के धैर्य की परीक्षा ली. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद विदेश नीति थोड़ी बदली और पहली बार पाकिस्तान को लग रहा है कि ईंट का जवाब पत्थर से भी मिल सकता है. इसलिए पाकिस्तान धमकी पर धमकी दे रहा है. वैसे आज दुनिया के हालात ऐसे हैं कि कोई भी राष्ट्र शायद ही परमाणु हथियार का इस्तेमाल करे. परमाणु हथियार को कम करने का दुनिया में अभियान चल रहा है. 2010 में जहां पूरी दुनिया में 22,600 परमाणु हथियार थे, 2015 में घट कर 15,850 हो गये.
पाकिस्तान वह राष्ट्र है, जिसने परमाणु हथियार तेजी से बढ़ाये हैं. अभी उसके पास 100 से 120 परमाणु हथियार हैं, जबकि भारत के पास इससे कुछ कम. लगातार युद्ध में पराजय के बाद उसने महसूस किया है कि पारंपरिक युद्ध में वह भारत से जीत नहीं सकता. शायद इसलिए उसने अपनी निर्भरता परमाणु हथियार पर बढ़ा दी है. उसको यह जान लेना चाहिए कि भारत भले ही शोर नहीं मचा रहा हो, लेकिन अगर पाकिस्तान परमाणु हथियार का उपयोग करता है, तो क्या भारत चुप बैठेगा? भारत-पाक दोनों ‘माइंड गेम’ खेल रहे हैं. भारत की लोकतांत्रिक छवि है, जबकि पाकिस्तान की छवि एक ऐसे देश की है, जिसने आतंकवाद को बढ़ावा दिया है. पाकिस्तान की बौखलाहट ही भारत की जीत है. म्यांमार की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को यह समझ में आ जाना चाहिए कि भारत में हस्तक्षेप बंद करे. यही उसके हित में है.
अनुज कुमार सिन्हा
वरिष्ठ संपादक
प्रभात खबर
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