श्रीनगर : बारामुला जिले के सोपोर शहर में नागरिकों के मारे जाने के विरोध में अलगाववादियों के हडताल के आह्वान के कारण आज कश्मीर में आम जनजीवन प्रभावित हो गया. मीरवाइज उमर फारुक और सैयद अली शाह गिलानी की अगुवाई वाले जेकेएलएफ, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के धडों की ओर से संयुक्त तौर पर आयोजित हडताल के कारण घाटी में दुकानें, कारोबारी प्रतिष्ठान और स्कूल बंद रहे. घाटी में लगभग सभी अलगाववादी समूहों ने हडताल का समर्थन किया.
अधिकारियों ने बताया कि घाटी के अधिकतर हिस्सों में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं सडकों पर नहीं चलीं लेकिन राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी के कुछ हिस्सों में निजी वाहनों को सडकों पर चलते हुए देखा गया. उन्होंने बताया कि सडकों से यातायात सेवाओं के नदारद रहने के कारण सरकारी कार्यालयों में लोगों की उपस्थिति कम रही. हडताल में कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के शामिल होने के कारण अदालतों में भी कामकाज प्रभावित रहा. सोपोर शहर में पिछले तीन सप्ताह में उग्रवादियों ने छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी जिसमें पूर्व उग्रवादियों सहित अलगावादी कार्यकर्ता भी शामिल हैं. इसके कारण उत्तरी कश्मीर के शहर में रहने वाले लोगों के बीच दहशत पैदा हो गयी है.
हत्या के पीछे दो उग्रवादियों का हाथ माना जाना रहा है जिनकी गिरफ्तारी को लेकर सूचना देने वालों को पुलिस ने 10 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की है. उग्रवादियों की पहचान अब्दुल कयूम नजर और इम्तियाज अहमद कांडू के रुप में हुई है. माना जाता है कि इन्होंने हिज्बुल मुजाहिदीन सुप्रीमो सैयद सलाहुद्दीन की कमान के आदेशों को नहीं माना और लश्कर-ए-इस्लाम के छद्म नाम से गुट का संचालन किया.
नजर उर्फ नजरवाला सोपोर का रहने वाला है और माना जाता है कि हाल में दूरसंचार टावरों पर हुए हमलों के बाद वह पाकिस्तान में रह रहे सलाहुद्दीन से अलग हो गया। इन हमलों में दो लोगों की जान चली गई थी. खुफिया रिर्पोटों के अनुसार, नजरवाला ने कुछ लोगों की सूची तैयार की है जिनके बारे में उसका दावा है कि वे आतंकवादी समूह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और सरकारी तंत्र की कथित रुप से मदद करते हैं.