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मनोहर पर्रिकर की अपील, वन रैंक, वन पेंशन मामले में धैर्य रखें पूर्व सैनिक

जयपुर : एक रैंक, एक पेंशन योजना के लागू होने में देरी पर पूर्व सैनिकों के प्रदर्शन के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि जो वादे किये गये हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा और पूर्व सैनिकों को धैर्य रखना चाहिए. सीमा सुरक्षा से […]

जयपुर : एक रैंक, एक पेंशन योजना के लागू होने में देरी पर पूर्व सैनिकों के प्रदर्शन के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि जो वादे किये गये हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा और पूर्व सैनिकों को धैर्य रखना चाहिए. सीमा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों और समाधानों पर यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमने जो वादे किये हैं, सभी पूरे किये जाएंगे.

लेकिन कुछ लोगों को धैर्य रखने की जरुरत है. एक रैंक, एक पेंशन के लागू होने में देरी को लेकर पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रीय राजधानी समेत देशभर में अनेक जगहों पर प्रदर्शन किये हैं और इसे तत्काल लागू करने की मांग की. पूर्व सैनिकों ने कल से क्रमिक भूख हडताल पर जाने की चेतावनी दी है.

पर्रिकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में चिंताओं पर ध्यान देते हुए आतंकवाद के कृत्यों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की बात भी कही. उन्होंने कहा, आपसे एक गिलास गिर सकता है लेकिन आप किसी बच्चे को नहीं गिराते क्योंकि आप पूरी सतर्कता बरतते हैं और यह सोच होती है. जिस दिन आप फैसला ले लेंगे कि गिलास को गिरने नहीं देना तो आप इसे कभी नहीं गिराएंगे.

राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में कतई बर्दाश्त नहीं करने की प्रवृत्ति ही एकमात्र समाधान है और यही सोच होनी चाहिए.मणिपुर में कुछ दिन पहले घात लगाकर किये गये हमले के बाद म्यामां में सीमापार सेना की कार्रवाई का परोक्ष रुप से जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, एक हालिया घटना ने राष्ट्रीय सुरक्षा का परिदृश्य बदल दिया और लोगों की सोच में बदलाव दिखायी दे रहा है.

योजना से 22 लाख पूर्व सैनिक और छह लाख से अधिक सैनिकों की विधवा होंगे लाभान्वित

इस योजना से करीब 22 लाख पूर्व सैनिक और छह लाख से अधिक सैनिकों की विधवाओं को लाभ होगा. इस योजना में समान दर्जे में सेवानिवृत्त होने वाले रक्षाकर्मियों को एक समान पेंशन मिलेगी, चाहे वे कभी भी सेवानिवृत्त हों. फिलहाल सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों की पेंशन उनके सेवानिवृत्त होते समय की वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित होती है. इस तरह यदि कोई मेजर जनरल 1996 में सेवानिवृत्त होता है तो उसकी पेंशन 1996 के बाद सेवानिवृत्त हुए किसी लेफ्टिनेंट कर्नल से कम होगी.पूर्व सैनिकों का कहना है कि यह नीति असंतुलित है और इसमें संशोधन की जरुरत है.

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