फोटो- सिटी प्रतिनिधि,सबौर. बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पशु व पशुपालक को पशुओं के सींग से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सींग रोधन की जानकारी दी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि कभी-कभी सींग वाले पशुओं का सींग उनके लिए बनाये गये घेरे में उलझ जाता है या वे आपस में लड़ कर अपनी सींग की क्षति कर लेते है, इससे पशुओं को काफी पीड़ा होती है. बीएयू के डेयरी प्रभारी डॉ अमित कुमार ने पशुपालकों को सींग रोधन की तकनीकी की जानकारी देते हुए बताया कि पशुओं का छोटी उम्र में ही सींग रोधन कर सुरक्षित करना चाहिए. सींग रोधन तकनीक सेे गायों, भेड़ों व बकरियों आदि पशुओं का बाल्यावस्था में ही सींग कलिका को गरम लोहे से दबा दिया जाता है, जिससे सींग बनने या वृद्धि होने से पहले ही नष्ट हो जाता है. सींग रोधन काफी पीड़ादायक व कठिन प्रक्रिया है. सींग रोधन कई विधियों से किया जाता है. कॉऊटेराजेशन में निश्चेतक का प्रयोग कर सींग कलिका या सींग ग्रोथ रिंग को उच्च ताप से नष्ट किया जाता है. इस विधि में बाल्यावस्था में ही गरम लोहे की सहायता से व मुड़ी हुई छुरी से मात्र दो माह के बच्चे का सींग काट कर निकाल दिया जाता है. आधुनिक सींग रोधन पद्धति में कास्टिक पोटाश स्टीक का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए सींग कलिका के चारों तरफ के बाल को काट कर गोल-गोल रगड़ना पड़ता है. इसके बाद लेप को चारों तरफ लगाया जाता है. यह लेप सींग ग्रोथ रिंग को नष्ट कर देता है. इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए,क्योंकि यह वर्षा काल में पशुओं के आंत व अन्य ऊत्तकों को क्षति पहुंचा सकता है.
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सींग रोधन से पशु व पशुपालक रहेंगे सुरक्षित
फोटो- सिटी प्रतिनिधि,सबौर. बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पशु व पशुपालक को पशुओं के सींग से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सींग रोधन की जानकारी दी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि कभी-कभी सींग वाले पशुओं का सींग उनके लिए बनाये गये घेरे में उलझ जाता है या वे आपस में लड़ […]
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