जानकार बताते हैं कि आवेदन के साथ दिये गये दस्तावेज जांच पड़ताल किये बगैर किस तरह केसीसी ऋण स्वीकृत हो गया है. वास्तविक किसान पुख्ता दस्तावेज के साथ केसीसी अथवा अन्य ऋण के लिए भटकते रहे. ऐसे लोगों को ऋण नहीं मिलता है.सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में प्रखंड स्तर पर कई चरणों में केसीसी ऋण को लेकर शिविर लगा कर किसानों से आवेदन लिये.प्रशासनिक सूत्रों की माने तो सरकारी शिविर में लिये गये आवेदन में नब्बे फीसदी किसानों को के सी सी ऋण नहीं मिला. जबकि जानकारों की माने तो बिचौलिया को संपर्क करने वाले किसानों के हाथों-हाथ ऋण की स्वीकृ ति मिल जाती है.
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बैंकों में वर्षो से चल रहा है गोरखधंधा
कटिहार: जिले के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की सौरिया शाखा द्वारा फर्जी एलपीसी के जरिये केसीसी ऋण के घोटाले का मामला उजागर होने के बाद आरोपियों में हड़कं प मचा हुआ है. सोमवार तक जो आरोपी डंडखोरा थाना पुलिस के आसपास नजर आते थे, वह मंगलवार को प्रभात खबर में मामला उजागर होते ही नजर […]
कटिहार: जिले के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की सौरिया शाखा द्वारा फर्जी एलपीसी के जरिये केसीसी ऋण के घोटाले का मामला उजागर होने के बाद आरोपियों में हड़कं प मचा हुआ है. सोमवार तक जो आरोपी डंडखोरा थाना पुलिस के आसपास नजर आते थे, वह मंगलवार को प्रभात खबर में मामला उजागर होते ही नजर नहीं आ रहे हैं. दूसरी तरफ जहां प्रभात खबर में यह मामला सामने आने से आम किसान व जनप्रतिनिधियों में चर्चा है. वहीं बैंक की व्यवस्था पर भी लोग सवाल उठाते हैं.
बैंको में बिचौलिया का है वर्चस्व
सीबीआइ सौरिया शाखा के इस उजागर के बाद यह साफ हो गया है कि इस तरह बैंक में बिचौलिया का कब्जा है. सूत्रों के अनुसार यह मामला सीबीआइ सौरिया शाखा तक सीमित नहीं है, बल्कि कदवा, डंडखोरा प्रखंड सहित ग्रामीण क्षेत्र में स्थित बैंकों द्वारा किसानों को प्रदत्त के सी सी ऋण के मामले में स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराये जाये तो इससे बड़ा घोटाला सामने आ सकता है. बैंक से जुड़े जानकार बताता है कि फर्जी एलपीसी व अन्य दस्तावेज के जरिये बड़ी तादाद में लोग केसीसी ऋण लेकर बैंक को चूना लगाया है. फर्जी एलपीसी सहित अन्य फर्जी दस्तावेज बनाने में संगठित गिरोह काम करता है.
मामले के प्रति पुलिस उदासीन
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद इस मामले में डंडखोरा पुलिस उदासीन दिख रही है. एक महीना से अधिक समय बीत जाने के बाद भी फर्जी वाड़ा के मुख्य आरोपी को न तो गिरफ्तार किया और न ही 123 अन्य आरोपियों के विरुद्ध पुलिस किसी तरह की कार्रवाई की है. इस बीच कटिहार एसडीपीओ राके श कुमार ने डंडखोरा थाना कांड संख्या 23/2015 के पर्यवेक्षण में मामले को सही पाया है.लेकिन अबतक मुख्य आरोपी व अन्य आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर है. उल्लेखनीय है कि मामले के मुख्य आरोपी दिलीप कुमार पोद्दार की जमानत याचिका जिला व सत्र न्यायाधीश के अदालत से खारिज हो चुकी है.
फर्जी दस्तावेज का कारोबार तेज
यद्यपि फर्जी एलपीसी व अन्य जरूरी दस्तावेज के जरिये बैंक ऋण लेने का गोरखधंधा क्षेत्र में लंबे समय से चल रहा है. अगर किसी को के सी सी अथवा अन्य दूसरा ऋण लेना होता है तो उन्हें बैंक के बिचौलिया से ही संपर्क करना पड़ता है. अगर जरूरत मंद सीधे बैंक के शाखा प्रबंधक के संपर्क करता है तो उन्हें कानूनी दावंपेंच की इतनी बात बतायी जाती है अथवा बार बार बैंक बुलाया जाता है जिससे तंग आकर व्यक्ति ऋण लेने से मना कर देता है अथवा बिचौलिया से संपर्क करता है. बिचौलिया के सपंर्क में फर्जी दस्तावेज बनाने वाला गिरोह भी है. ऐसे गिरोह के पास सरकारी मुहर व अधिकारियों के हस्ताक्षर करने का महारथ हासिल है.
कहते हैं थानाध्यक्ष
मामले को लेकर डंडखोरा थानाध्यक्ष अनिल कुमार यादवेंदू ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. न्यायालय से अब तक किसी की गिरफ्तारी का आदेश नहीं मिला है. न्यायालय के निर्देश उपरांत आरोपियों को गिरफ्तारकर लिया जायेगा. अब सवाल यह उठता है कि जब सीबीआइ प्रबंधक ने स्थानीय थाना में दिलपी पोद्दार सहित 123 के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया है, तो फिर पुलिस न्यायालय के किस आदेश का बाट जोह रही है. आखिर क्या वजह है कि मामले में पुलिस शांत रवैया अपनायी हुई है.
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