गया. आइएमए भवन के ऑडिटोरियम में रविवार की देर रात भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) की बैठक हुई. इसमें क्लिनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट पर विचार-विमर्श किया गया. इस दौरान इस ऐक्ट के तहत क्लिनिक व नर्सिग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने व एक्ट का विरोध करने का निर्णय लिया गया. साथ ही चेतावनी दी गयी कि इस एक्ट के तहत यदि किसी क्लिनिक व नर्सिग होम पर कार्रवाई की जाती है, तो आइएमए आंदोलन को बाध्य होगा.
बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष डॉ एलएम सिंह ने की. सचिव डॉ उमेश कुमार ने कहा कि जब तक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया व केंद्रीय भारतीय चिकित्सा संघ के द्वारा प्रस्तावित संशोधन लागू नहीं किया जाता या उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला नहीं आ जाता है, तब तक किसी डॉक्टर के क्लिनिक व नर्सिग होम पर कार्रवाई नहीं की जा सकती.
यदि प्रशासन ऐसा करेगा, तो आइएमए आंदोलन करेगा. उन्होंने कहा कि क्लिनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट के अनुरूप गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज करनेवाले एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है. ऐसे में इसे भी बंद करना होगा. आखिर इस नये कानून का क्या औचित्य है? जबकि 2007 से ही बिहार में क्लिनिकल कानून लागू है.