नयी दिल्ली : आगामी 21 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारियों के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज योग को लोगों के मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की जरुरत बताते हुए इसकी जोरदार हिमायत की. मुखर्जी ने कहा कि योग कला, विज्ञान एवं दर्शन है, जो जनता को आत्मानुभूति कराने में मदद करता है. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने पुष्टि की है कि योग से न सिर्फ तनाव कम होता है बल्कि दीर्घकाल तक कई फायदे होते हैं.
उन्होंने कहा कि यौगिक अनुशासन न सिर्फ अस्थिर मन को नियंत्रित करने में मददगार है बल्कि यह उत्कृष्टता को भी प्रेरित करता है.’ उन्होंने एक कार्यक्रम में यह बात कही जहां उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की बेटी निवेदिता जोशी की लिखी ‘योगी का स्पर्श’ की प्रथम प्रति सौंपी गई.
दृष्टिहीनों की मदद के लिए ब्रेल लिपि में इसके एक मैनुएल होने का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि प्राचीन भारतीय पद्धतियां शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों की जरुरतों का संपूर्ण जवाब है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाये जाने से वैश्विक स्तर पर योग लोकप्रिय होगा और इस ‘अमूल्य भारतीय धरोहर’ से लोग लाभ पा सकेंगे. भारत में इस अवसर पर यहां राजपथ पर होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में करीब 40,000 लोगों के हिस्सा लेने की उम्मीद है जहां सरकार एक रिकार्ड बनाने की कोशिश कर रही है ताकि यह गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में जगह पा सके.
मुखर्जी ने कहा कि योग तार्किक रूप से सर्वाधिक मूल्यवान भारतीय सांस्कृतिक धरोहर है और यह कला, विज्ञान और दर्शन है जो लोगों को आत्मानुभूति में मदद करता है. इस मौके पर निवेदिता ने कहा कि स्वस्थ होने और प्रख्यात योग गुरु दिवंगत बीकेएस आयंगर का योग के लिए दिशानिर्देश प्राप्त करने से पहले वह कई बीमारियों के चलते बरसों तक बिस्तर पर रहीं. उनके हृदय में दुनिया भर के 3.9 करोड दृष्टिहीनों तक योग पहुंचाने की इच्छा लंबे समय से थी.
इस प्रयास से उन लोगों के जीवन में और प्रकाश आएगा, जो यह सोचते हैं कि वे इस (योग की) दिशा में आगे नहीं बढ सकते हैं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘जैसा कि हम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं, यह मुझे अपार संतुष्टि देता है कि ब्रेल लिपि में योग मैनुअल दृष्टिहीनों को एक अनोखा उपहार दे रहा है.’