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रेलवे गुमटी के समीप फेंकी मिली अबोध बच्ची
सीतामढ़ी : सरकार बेटियों को बचाने का पूरा प्रयास कर रही है. बावजूद बेटियों के प्रति समाज का नजरिया नहीं बदला है. लोग भूल गये हैं कि इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, पीटी उषा, किरण वेदी व बछेंद्री पाल समेत न जाने देश की कितनी महिलाएं अलग-अलग क्षेत्र में एक मुकाम हासिल की. वह भी किसी […]
सीतामढ़ी : सरकार बेटियों को बचाने का पूरा प्रयास कर रही है. बावजूद बेटियों के प्रति समाज का नजरिया नहीं बदला है. लोग भूल गये हैं कि इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, पीटी उषा, किरण वेदी व बछेंद्री पाल समेत न जाने देश की कितनी महिलाएं अलग-अलग क्षेत्र में एक मुकाम हासिल की.
वह भी किसी की बेटी थी. यह संभव है कि जिस बेटी को लोग होश संभालने के पूर्व मार देते हैं, वह भी इंदिरा गांधी, पीटी उषा व किरण बेदी बन सकती थी. कल तक कहा जाता था कि पूत कपूत हो सकता है, पर माता कुमाता नहीं. यह कहावत अब किताबों व कहावत तक सिमट कर रह गयी है.
बच्ची को मिली जिंदगी
जिस धरती पर कभी मां जानकी जन्म ली थी, उस धरती की कुछ महिलाएं अपनी बेटियों को जन्म के तुरंत बाद या कुछ माह बाद सड़क पर फेंक कर तड़पने के लिए छोड़ दे रही है.
इस तरह का मामला रविवार को सामने आया. सुबह के चार बजे स्थानीय रेलवे स्टेशन के पश्चिमी गुमटी से सटे उत्तर दो माह की एक बच्ची को फेंका हुआ पाया गया. उसके रोने की आवाज घुमंतू समुदाय के लोगों ने सुनी. उसने बच्ची को शरण दिया. सूचना मिलने पर जीआरपी प्रभारी इमरान आलम ने बच्ची को अपने कब्जे में कर चाइल्ड लाइन को सूचना दी. चाइल्ड लाइन के समन्वयक मनीष कुमार, शिल्पी कुमारी व सिकंदर दास पहुंचे. वहां से बच्ची को सदर अस्पताल लाया गया.
तब डॉक्टर थे नदारद
समन्वयक श्री कुमार ने बताया कि गरमी अधिक होने से बच्ची असुरक्षित है. वे उसे लेकर सदर अस्पताल स्थित एनआरसी पर पहुंचे. संचालक बच्ची को भरती करने को राजी हुआ, पर डॉ नदारद थे. तब बच्ची को निजी चिकित्सक डॉ श्रवण कुमार के यहां ले गये. स्वास्थ्य परीक्षण के बाद बच्ची को स्वस्थ बताया गया.उसे बाल कल्याणके हवाले कर दिया गया.
बांध किनारे से बच्ची बरामद
बताया कि मेजरगंज प्रखंड क्षेत्र में 24 घंटा की एक बच्ची को बांध किनारे से बरामद किया गया था. बच्ची को कौआ नोच लिया था. वहीं रून्नीसैदपुर में डेढ़ वर्षीया एक बच्ची को सड़क किनारे से बरामद किया गया था. वह अंधी थी.
नि:शक्त थी बच्ची
स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म से छह माह की बच्ची को जीआरपी द्वारा बरामद किया गया था. वह दोनों आंख से अंधी थी. गत माह तीन साल की एक विकलांग बच्ची को ट्रेन में छोड़ दिया गया था.
जीआरपी व चाइल्ड लाइन ने उक्त बच्ची को पोषक पुनर्वास केंद्र में भरती कराया था. समन्वयक श्री कुमार कहते हैं कि जनवरी से अब तक सात बच्चियों को बरामद किया गया है.
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