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शिक्षकों के स्थानांतरण पर लगी रोक
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में पदस्थापित सरकारी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगा दी गयी है. जून में होने वाली स्थापना की बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगनी थी. दरअसल, मानव संसाधन विकास विभाग ने इसपर रोक लगायी है. बताया जा रहा है कि मानव संसाधन विकास विभाग शिक्षकों का ट्रांसफर- पोस्टिंग […]
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में पदस्थापित सरकारी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगा दी गयी है. जून में होने वाली स्थापना की बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगनी थी. दरअसल, मानव संसाधन विकास विभाग ने इसपर रोक लगायी है. बताया जा रहा है कि मानव संसाधन विकास विभाग शिक्षकों का ट्रांसफर- पोस्टिंग को लेकर नयी नियमावली बना रहा है. इसी नियमावली के तहत देशभर में शिक्षक-शिक्षिकाओं का स्थानांतरण होगा. ऐसे में जून में होने वाली स्थापना बैठक में इस पर चर्चा नहीं होगी.
गौरतलब है कि जिले में कई शिक्षक-शिक्षिकाएं ऐसे हैं, जो नियुक्ति से अब तक (15 वर्ष से) ग्रामीण क्षेत्र में पदास्थापित हैं. वहीं दूसरी ओर कई ऐसे शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं, जो 10 वर्ष से अधिक समय से शहरी क्षेत्र में पदस्थापित हैं. ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण की तैयारी जिला प्रशासन ने की थी. अब प्रशासन मानव संसाधन विभाग के गाइडलाइन का इंतजार कर रहा है. जानकारी के अनुसार यह मामला करीब 6 महीने के लिए फिर से टल गया है.
सीएम ने 100 शिक्षिकाओं को दिया था स्थानांतरण का आश्वासन, सूची तैयार : जिले की कई शिक्षिकाएं करीब 10 साल से ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पदास्थापित हैं. ऐसी शिक्षिकाओं ने सीएम रघुवर दास से मुलाकात की थी. सीएम ने उन्हें आश्वासन दिया था कि सप्ताह भर में उनका स्थानांतरण किया जायेगा. बताया गया कि स्थापना की बैठक से पूर्व प्रधान सचिव के निर्देश पर उपायुक्त को खास तौर पर शिक्षिकाओं के स्थानांतरण का आदेश दिया जायेगा. इसकी सूची तैयार कर ली गयी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया. बताया गया कि उक्त 100 शिक्षिकाओं के स्थानांतरण पर स्थापना बैठक में ही फैसला लिया जायेगा. अब स्थापना बैठक में शिक्षक-शिक्षिकाओं के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर कोई चर्चा ही नहीं होगी.
डीसी ने निरीक्षण में पायी थी गड़बड़ी
पिछले दिनों उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल ने शहर के कई स्कूलों का दौरा किया था. उन्होंने पाया था कि शहर में प्रति स्कूल शिक्षकों की संख्या ज्यादा, जबकि छात्र कम हैं. कई स्कूल ऐसे हैं, जहां 10 बच्चे पर एक शिक्षक हैं. इस तरह के स्कूलों के साथ ही ऐसे शिक्षकों की सूची भी तैयार की गयी है, जो लंबे अरसे जिले में जमे हुए हैं. इस तरह के शिक्षकों को गांव भेजने की चेतावनी दी गयी थी. फिलहाल यह मामला खटाई में पड़ता नजर आ रहा है.
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