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घाघरा में बनेगा अपोलो, हुआ समझौता, बीपीएल को 7.5% बेड
– अस्पताल से मिलने वाले कुल राजस्व का 0.5 प्रतिशत राज्य सरकार के खाते में दिया जायेगा – अस्पताल के 10 फीसदी बेड का इस्तेमाल ओपीडी के रूप में किया जायेगा उत्तम महतो रांची : घाघरा में एक रुपये के लगान की जमीन पर तैयार होनेवाले अपोलो अस्पताल के 7.5 फीसदी बेड गरीबी रेखा से […]
– अस्पताल से मिलने वाले कुल राजस्व का 0.5 प्रतिशत राज्य सरकार के खाते में दिया जायेगा
– अस्पताल के 10 फीसदी बेड का इस्तेमाल ओपीडी के रूप में किया जायेगा
उत्तम महतो
रांची : घाघरा में एक रुपये के लगान की जमीन पर तैयार होनेवाले अपोलो अस्पताल के 7.5 फीसदी बेड गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए आरक्षित होंगे. बीपीएल परिवारों के मरीज अपोलो अस्पताल में नि:शुल्क इलाज करा सकेंगे. राज्य सरकार ने अपोलो प्रबंधन को 10 फीसदी बेड बीपीएल परिवारों के लिए आरक्षित रखने का प्रस्ताव दिया था, पर वार्ता के बाद अपोलो प्रबंधन 7.5 फीसदी बेड आरक्षित करने पर सहमत हुआ.
प्रबंधन अस्पताल से मिलने वाले कुल राजस्व का 0.5 प्रतिशत राज्य सरकार के खाते में देने पर भी सहमत हुआ. अस्पताल के 10 फीसदी बेड का इस्तेमाल ओपीडी के रूप में किया जायेगा. इन सबके बदले में राज्य सरकार एक रुपये लगान पर घाघरा में अपोलो अस्पताल प्रबंधन को जमीन मुहैया कराने पर तैयार है. चेन्नई अपोलो को एक रुपये की टोकन मनी के बदले में जमीन सौंप दी जायेगी.
100 करोड़ से बनेगा 200 बेड का सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल
चेन्नई अपोलो प्रबंधन ने घाघरा में 100 करोड़ रुपये की लागत से 200 बेड का सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का निर्माण करायेगा. अपोलो प्रबंधन की ओर से रांची नगर निगम को बताया गया था कि वह झारखंड में सेवा भावना से कम कीमत में बेहतर चिकित्सा सुविधा देना चाहते हैं. अस्पताल चलाने के अलावा अपोलो प्रबंधन स्वास्थ्य क्षेत्र में बेरोजगार युवक-युवतियों को प्रशिक्षण भी देगा. अपोलो प्रबंधन ने अस्पताल से होने वाली आय का 0.50 प्रतिशत राजस्व के रूप में रांची नगर निगम को देने पर भी सहमति दी थी. राज्य सरकार और अपोलो प्रबंधन में अंतिम सहमति बनने के बाद मामला कैबिनेट के समक्ष रखने की तैयारी पूरी कर ली गयी है.
दो एकड़ से अधिक जमीन पर बनेगा
घाघरा में दो एकड़ से अधिक जमीन पर चेन्नई अपोलो अस्पताल बनाया जायेगा. रांची नगर निगम ने घाघरा में लगभग 2.83 एकड़ जमीन पर अस्पताल निर्माण के लिए मंजूरी दे दी है. निगम बोर्ड के फैसले पर सहमति जताते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीन मार्च 2014 को चेन्नई अपोलो प्रबंधन के अधिकारियों को लेटर ऑफ अवार्ड सौंपा था. बाद में जमीन के एवज में ली जाने वाली राशि समेत कई बिंदुओं पर विवाद हो गया था. स्इसी वजह से नगर विकास विभाग और अपोलो प्रबंधन के वार्ता चल रही थी.
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