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बिहार: चुनाव के माहौल में आम पहले ही बना खास, अब शराब की बोतलों पर बहस जारी

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही राज्य में चुनावी सरगर्मी तेज होने लगी है. एक ओर जहां चुनाव के पूर्व गठबंधन को लेकर सियासत जारी है और इस संबंध में रोज नये-नये बयान दिये जा रहे हैं, वहीं लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय फल आम भी इस चुनावी माहौल में […]

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही राज्य में चुनावी सरगर्मी तेज होने लगी है. एक ओर जहां चुनाव के पूर्व गठबंधन को लेकर सियासत जारी है और इस संबंध में रोज नये-नये बयान दिये जा रहे हैं, वहीं लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय फल आम भी इस चुनावी माहौल में राजनेताओं के लिये खास हो गया है. बिहार के चुनावी माहौल के दौरान यह पहली बार है जब जन समस्याओं व विकास जैसे मुद्दों को छोड़कर आम को लेकर राजनीतिक जंग शुरू हो गई है. आम को लेकर जारी बहस में लगभग सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हो गये हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के राजधानी स्थित उनके वर्तमान निवास 1 अणे मार्ग पर लगे आम के पेड़ों पर पहरा लगाए जाने के मामले में मांझी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच से शुरू हुए विवाद में अब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी कूद पड़े हैं.

उन्होंने कहा कि उस निवास परिसर में फलों के पेड़ मैंने और मेरी पत्नी राबड़ी देवी ने लगाए थे, इसलिए इन फलों पर पहला अधिकार मेरा है. लालू के इस बयान का समर्थन करते हुए मांझी ने कहा है कि पेड़ लगाने वाले का ही फलों पर पहला हक बनता है. हालांकि आम से शुरू हुए इस बहस में अब शराब की बोतलें भी शामिल हो गई है. 1 अणे मार्ग से शराब की बोतलों के मिलने के संबंध में तीखी प्रतिक्रया देते हुए मांझी ने कहा कि यह बोतलें वर्तमान सीएम के बिचौलियों ने छोड़ रखा है.

मांझी खेमे ने नीतीश कुमार सरकार पर आरोप लगाया है कि एक अणे मार्ग पर एसपी रैंक के अधिकारी सहित दो दर्जन पुलिस वालों को फल व सब्जी की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है.हालांकि, पुलिस के आलाधिकारियों ने फलों-सब्जियों की पहरेदारी के लिए पुलिस की तैनाती के आरोप को बेबुनियाद करार दिया है. लेकिन पुलिस मुख्यालय से इस सफाई के आने से पहले ही फल और सिब्जयों का मुद्दा काफी रोचक हो गया था. जीतन राम मांझी अब मुख्यमंत्री के पद पर नहीं हैं और वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां रहते नहीं है.

ऐसे में आखिर इन फलों व सब्जियों पर हक किसका है, यह तय नहीं हो पाया है. एक ओर जहां फलों व सब्जियों की पहरेदारी को जीतनराम मांझी ने घटिया मानिसकता करार दिया, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जिन्हें आम की चिंता है वे करें, हमें तो अवामकी चिंता है. सीएम हाउस में आम के पेड़ों की पहरेदारी के मामले पर उन्होंने कहा कि यह खबर अखबारों से उन्हें मिली है. अगर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी सीएम हाउस में लगे आम का उपयोग करते हैं, तो उसका भुगतान वे अपनी सैलरी से कर देंगे. जरूरत पड़ी तो वे आम खरीद कर उन्हें दे देंगे. उन्होंने कहा कि जिनको घर मिला हुआ है, वे घर को अभी तक बनवा ही रहे हैं. सीएम हाउस में रहने का मोह नहीं जा रहा है. अब तो 2-4 महीने की ही बात है. कम समय के लिए वे रह ले.

इस मामले पर पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार का महादलित प्रेम दिखावा से अधिक कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को पहले मुख्यमंत्री के पद से हटा कर अपमानित किया और अब उनके आवास में स्थित आम-लीची पर पुलिसिया पहरा बैठा दिया है. मांझी को आम की चटनी तक के लिए तरसा रहे हैं. कुमार को बरदाश्त नहीं है कि कोई महादलित एक, अणे मार्ग स्थित आवास परिसर के पेड़ों का एक फल भी चखे. उन्हें आम जनता की नहीं, आम की चिंता हैं. उनका दलित-महादलित प्रेम महज एक दिखावा है.

वहीं, आम व सब्जियों के बाद निवास स्थान से शराब की बोतलें मिलने पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. शराब की बोतलों के संबंध में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मांझी ने कहा कि यह बोतलें वर्तमान मुख्यमंत्री के करीबी बिचौलियों के है. उन्हीं लोगों ने यहां पर शराब की खाली बोतलें रख छोड़ी है. कुल मिलाकर चुनावी माहौल में ऐसे विषयों पर राजनीति हो रही है, जिससे आम जनता का कोई वास्ता नहीं है. हालांकि अब तक इस मामले पर जिस तरह से बयानबाजी हुई है उससे साफ है कि चुनावी सभाओं के दौरान भी इन मामलों पर चर्चाएं जारी रहेगी.

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