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फ्लावर शो के सहारे पौधारोपण का अलख

शहर में खेतान दंपती ने छत पर बना रखी है फूलों की बगिया दरभंगा : पौधा रोपण के लिए सरकार की ओर से खूब कोशिशें हो रही हैं, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती. ऐसे में डा. राम बाबू खेतान एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपने दम पर ऐसी मिशाल कायम की जिसने इस शहर […]

शहर में खेतान दंपती ने छत पर बना रखी है फूलों की बगिया
दरभंगा : पौधा रोपण के लिए सरकार की ओर से खूब कोशिशें हो रही हैं, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती. ऐसे में डा. राम बाबू खेतान एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपने दम पर ऐसी मिशाल कायम की जिसने इस शहर को देश स्तर पर अलग पहचान दिलायी.
पुष्प प्रदर्शनी के माध्यम से वे लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाने में जुटे हैं. इसमें जबर्दश्त कामयाबी भी हासिल हो रही है. महज ढाई दशक में इस प्रदर्शनी में प्रतिभागियों की संख्या 21 से बढ़कर 120 के पार कर गयी है. साल दर साल इसमें वृद्धि हो रही है.
साथ ही उनका कारवां भी बड़ा होता जा रहा है.
इसमें शहर के नामचीन हस्तियों के साथ ही किसान स्तर के लोगों का जुड़ना इसकी सफलता का प्रमाण दे रहे हैं. इसके माध्यम से न केवल पौधा रोपण को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि इसमें लोगों को मदद भी कर रहे हैं.
वो 1992 का दिसंबर महीना था. 15 तारीख को उनके पास एक व्यक्ति ने डा. खेतान के पुष्प प्रेम को देखते हुए प्रदर्शनी का सुझाव दिया. इसके बाद वे इस अभियान पर निकल पड़े.
18 दिसंबर को 21 लोगों के साथ बैठक की. इसी दिन नार्थ बिहार हर्टिक्लचर सोसाइटी का गठन हुआ. उत्साह से लबरेज इन लोगों ने आनन-फानन में प्रदर्शनी का आयोजन कर दिया. वर्ष 1992 की तीन जनवरी 1993 को पहली बार शहर के लोगों ने अपने शहर में पुष्प प्रदर्शनी का नजारा देखा. इस साल महज 600 गमले इसमें शामिल किये जा सके. इसके बाद कारवां बढ़ता गया. दर्जनों लोग इस सोसाइटी से जुड़ते चले गये.
गत 2014 में संपन्न इस फ्लावर शो में प्रतिभागियों की संख्या जहां बढ़कर 120 पहुंच गयी, वहीं रंग-बिरंगे फूलों व पौधों के गमलों की संख्या 2500 को पार कर गयी. अब तो आलम यह है कि नगर भवन के विशाल हॉल इसके लिए छोटा पड़ रहा है.
पेशे से हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. खेतान का वनस्पति प्रेम काफी पुराना है. पहले वे सिर्फ अपने छत पर कुछ गमले में फूल आदि लगाया करते थे. जब से शो की शुरुआत हुई, इनके गमलों की संख्या हजार को पार कर गयी है. वे खुद इन पौधों की देखभाल करते हैं. पानी देना, खाद देना, जरूरी उपचार करना, काट-छांट करना आदि जितने भी काम होते हैं, बड़े शौक से वे इस काम को करते हैं. सुखद पहलू यह है कि उनकी पत्नी लता खेतान भी इसमें सहयोगी रहती हैं. अब तो सोसाइटी के पदाधिकारी की हैसियत से इसमें लगी रहती हैं.
जहां पूरी दुनिया पैसे के पीछे भाग रही है, वहीं डा. खेतान अपना अधिकांश समय इन पौधों की देखभाल में लगाते हैं. वे कहते हैं कि आज पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण से परेशान है. लोगों के पास वृक्षारोपण के लिए जमीन की भी कमी है. अगर वे इस तरह के पौधे लगायें तो काफी हद तक प्रदूषण को कम किया जा सकता है.
साथ ही यह खूबसूरती में भी चार चांद लगाता है. संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि उनकी तमन्ना इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों में पौधा प्रेम बढ़ाना है. इसमें काफी सफलता भी मिली है.
यही कारण है कि डा. केएनपी सिन्हा, डा. शशि रंजन, डा. बीएन मिश्र, नवीन कुमार बैरोलिया, विनोद कुमार सरावगी, मधुरेंद्र कुमार वर्मा, श्याम सुंदर तालुका, सुशील कुमार बैरोलिया, राजेश द्विवेदी, शिव भगवान गुप्ता, महेंद्र पासवान, राज किशोर पासवान, डा. उषा झा समेत करीब पांच दर्जन ऐसे लोग इससे जुड़े जिन्होंने शो की प्रेरणा से अपने-अपने घरों में बगीचा लगाया.
डा. खेतान की तमन्ना इस शहर को सिटी ऑफ फ्लावर के रूप में स्थापित करने की है. डा. खेतान दंपती उन लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत हैं जो इस कंकरीट के जंगल में फूलों की बगिया लगाना चाहते हैं. सीमित जगह में भी उन्होंने आकर्षक बगीचा लगाकर मिशाल पेश की है. चकाचौंध से दूर वे पौधा रोपण का अलख जगाने में जुटे हैं.
तालाब बचाओ अभियान, यानी जल संरक्षण का संदेश
आंदोलन का रूप देने में जुटे नारायण झा
दरभंगा. तालबा बचाओ अभियानी के नाम से नारायण झा की पहचान बन चुकी है. पिछले करीब दो साल से वे इस अभियान में लगे हैं.
जिला के युवाओं के साथ इस मुद्दे पर उन्होंने बुद्धिजीवियों को समवेत किया है. वे लगातार इसके लिए प्रयासरत नजर आते हैं. इस अभियान के माध्यम से श्री झा लोगों के बीच जल संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. पर्यावरण प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित पानी हो रहा है.
इसका कुप्रभाव भी पड़ रहा है. दूसरी ओर दरभंगा शहर की पहचान विशाल तलाबों को लेकर रही है. आज इन तालाबों का अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. शहर के कचरों के अलावा मेडिकल वेस्ट इसमें बहाने से इसका पानी विषाक्त होता जा रहा है. दूसरी ओर भू माफियाओं द्वारा प्रशासन की मिलीभगत से तालाबों को भरने का सिलसिला जारी है.
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रख श्री झा ने इस अभियान की शुरुआत की. वे तालाबों के वजूद को बचाने के लिए वर्षों से प्रयत्न शील हैं. इसके लिए वे कहां-कहां नहीं गये. मानवाधिकार प्रतिष्ठान तक से गुहार लगायी, लेकिन अपेक्षित सहयोग नहीं मिलते देख अब वे कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में है. साधारण दिखने वाले नारायण झा इसके लिए कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं.
साथ ही जब भी उन्हें कहीं से तालाब को गंदा करने या फिर अवैध तरीके से भरने की सूचना आती है, वे तत्क्षण वहां पहुंचकर इसे रोकने के लिए प्रयास में जुट जाते हैं. वे इस अभियान के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने में अनवरत जुटे हैं.

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