तुरकौलिया : पर्यावरण को बचाने में तुरकौलिया के किरण कुमारी की अहम भूमिका है़ सूख रहे शीशम के पेड़ को बचाने के लिए किरण ने खोज की और उसके द्वारा बनाया गया नुस्खा आज पर्यावरण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रहा है़. इसको लेकर करीब आधा दर्जन अवार्ड भी किरण को मिल चुका है़ इस खोज के लिए उसे तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा भी राष्ट्रपति पुरस्कार देकर सम्मानित किया है़
क्या है खोज
वृक्षों में खासकर शीशम के पेड़ में बिमारी लगने के कारण धीरे-धीरे सूखने लगता है़ कुछ दिनों के बाद पेड़ सूखकर स्वत: गिर जाता है़ पुराने पेड़ों में यह रोग लगने से किसानों को काफी आर्थिक क्षति होती है.
गांव की वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार की पुत्री ने इस बीमारी का इलाज खोज कर पर्यावरण संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दिया.
हजारों पेड़ हो चुके हैं हरे
50 एमएल केरोसिन, 50 एमएम नीम का तेल व सौ ग्राम काबरेफि बरान को दस लीटर पानी में मिला कर पेड़ के जड़ के पास चोरों तरफ से खुदाई कर उसमें दस दिन तक रोजाना सुबह में पटाना है़ धीरे-धीरे पेड़ हरा होने लगता है़ किरण ने बताया कि सिर्फ पहले दिन ही काबरेफि बरान केरोसिन व नीम के तेल में मिलाना है़ बाकि दिन दोनों तेलों को ही पानी में मिलाकर जड़ पर पटाना है़
यह नुस्खा पर्यावरण के बचाने में रामबाण साबित हुआ है़ अब तक हजारों पेड़ों को इसके इस्तेमाल से बचाये जा चुके हैं.
सम्मानित हुई किरण
नेशनल चिल्ड्रेन एंड साइंस कांग्रेस व बिहार स्टेट चिल्ड्रेन कांग्रेेस, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय नयी दिल्ली, गांधी स्मारक भिवरवा, गांधी अध्ययन केंद्र रामलखन सिंह यादव कॉलेज बेतिया द्वारा भी सम्मानित किया गया है़ वहीं राष्ट्रपति पुरस्कार व राज्यपाल से प्रशस्ति पत्र भी मिल चुका है़
क्या है योजना
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने की रुचि है़ किरण ने बताया कि पथ नामक ट्रस्ट बनाकर पर्यावरण पर काम किया जा रहा है़ साथ ही महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भी ट्रस्ट द्वारा कार्य किया जा रहा है़ साथ ही जर्नलिज्म में रुचि है़