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मैगी : झपकी लेती सरकार की कहानी
देश में इन दिनों चल रही मैगी की कहानी हमारी कामचोर सरकारी एजेंसियों की उदासीनता को उजगार करती है. अचानक सभी राज्य सरकारें मैगी को अत्यधिक असुरक्षित खाद्य पदार्थ बताने में लगी हैं. वहीं, कुछ राज्य सरकारें ऐसी भी हैं जो इसे अब भी सुरक्षित बता रही हैं. मैगी तीन दशकों से बाजार में है. […]
देश में इन दिनों चल रही मैगी की कहानी हमारी कामचोर सरकारी एजेंसियों की उदासीनता को उजगार करती है. अचानक सभी राज्य सरकारें मैगी को अत्यधिक असुरक्षित खाद्य पदार्थ बताने में लगी हैं. वहीं, कुछ राज्य सरकारें ऐसी भी हैं जो इसे अब भी सुरक्षित बता रही हैं.
मैगी तीन दशकों से बाजार में है. एफएसएसएआइ यानी भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण पूरी तरह चौपट है. इन मोटी तनख्वाह पानेवालों, मंत्रियों और केंद्र व राज्य सरकार के सचिवों का कोई फायदा नहीं हैं. वे केवल करदाता की मेहनत के पैसे हजम कर रहे हैं. वे केवल लाइसेंसराज के राजा के रूप में काम कर रहे हैं. समय की मांग है कि सामंती, वंशवादी, पाखंडी, चापलूस राजनैतिक पट्ठों की तरह काम कर रहे एफएसएसएआइ की कार्यप्रणाली की निगरानी हो, ताकि उसे यह डर हो कि कोई है जो उसे देख रहा है.
हराधन मुखोपाध्याय, जमशेदपुर
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