डुमरा कोर्ट : तदर्थ सत्र न्यायाधीश, प्रथम मो इरशाद अली के कोर्ट में 15 आरोपितों को सजा सुनाये जाने के पूर्व बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी दलील दी. अधिवक्ताओं का कहना था कि प्रमाणित यह दोष आरोपितों का प्रथम अपराध है. इससे पूर्व इनके विरूद्ध कोई दोष सिद्ध नहीं हुई है. सभी आरोपित अपने-अपने परिवार के मुखिया हैं और व हीं अपने-अपने परिवारों के जीविकोपार्जक है. अधिवक्ताओं ने कोर्ट से दयाभाव दिखाते हुए कम से कम सजा देने की गुहार लगायी. आरोपित सह कांग्रेस के शिवहर जिलाध्यक्ष मो असद के अधिवक्ता विमल शुक्ला ने कोर्ट से गुहार लगायी कि जिन लोगों का न तो प्राथमिकी में नाम है और न कोई साक्ष्य है, उन्हें भी दोषी करार दिया गया है. ऐसे लोगों को आरोप मुक्त कर दिया जाये. — सख्त से सख्त सजा दी जाये सरकार पक्ष से अपर लोक अभियोजक का. नरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि सभी सिद्ध दोष व्यक्तियों के विरूद्ध दोष अति गंभीर प्रकृति का है और इसे क्रूरतम रीति से कारित किया गया है. अत: सिद्ध दोष व्यक्तियों के प्रति बिना कोई दायभाव दिखाये इन्हें सख्त से सख्त उदाहरणात्मक सजा दी जाये. दोनों पक्षों की सुनने के बाद कोर्ट ने सभी 15 आरोपितों के प्रति दयाभाव दिखाने से इनकार कर दिया.
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गोली कांड : कोर्ट का दयाभाव दिखाने से इनकार
डुमरा कोर्ट : तदर्थ सत्र न्यायाधीश, प्रथम मो इरशाद अली के कोर्ट में 15 आरोपितों को सजा सुनाये जाने के पूर्व बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी दलील दी. अधिवक्ताओं का कहना था कि प्रमाणित यह दोष आरोपितों का प्रथम अपराध है. इससे पूर्व इनके विरूद्ध कोई दोष सिद्ध नहीं हुई है. सभी आरोपित अपने-अपने […]
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