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वाम दल एक साथ लड़ेंगे विस चुनाव

पटना: विधान परिषद की ही तरह वाम दल एक हो कर विधान सभा का चुनाव भी लड़ेंगे. राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा को धूल चटाने के लिए वाम दल राजद, जदयू या सेक्यूलर पार्टियों का समर्थन कर सकती है. वाम दलों ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और किसान आत्म हत्या की बढ़ती घटनाओं के विरोध में 21 […]

पटना: विधान परिषद की ही तरह वाम दल एक हो कर विधान सभा का चुनाव भी लड़ेंगे. राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा को धूल चटाने के लिए वाम दल राजद, जदयू या सेक्यूलर पार्टियों का समर्थन कर सकती है. वाम दलों ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और किसान आत्म हत्या की बढ़ती घटनाओं के विरोध में 21 जुलाई को बिहार बंद कराने का निर्णय लिया है.

उक्त निर्णय बुधवार को भाकपा, माकपा, माले और एसयूसीआइसी के नेताओं की माले कार्यालय में हुई संयुक्त बैठक में लिया गया. बैठक के बाद भाकपा सचिव सत्यनारायण सिंह, माकपा सचिव अवधेश कुमार, माले सचिव कुणाल और एसयूसीआइसी नेता अरुण कुमार सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि वाम एकता के तहत चारों दल भूमि अधिग्रहण, महंगाई, बदत्तर शिक्षा व्यवस्था और गिरती विधि व्यवस्था के मुद्दे को ले कर विधान सभा चुनाव में उतरेंगे. विधानसभा चुनाव में वाम एकता के तहत कौन दल किन-किन सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करेगा, इसका फैसला जून के अंतिम सप्ताह में होनेवाली वाम दलों की संयुक्त चुनावी बैठक में होगा.

वाम दलों के नेताओं ने बताया कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को ले कर वाम दल 23 से 30 जून तक बिहार के सभी प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे. वाम नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का भले ही बिहार की वर्तमान सरकार विरोध कर रही है, किंतु वह भी पाक-साफ नहीं है. मोतीपुर चीनी मिल की हजारों एकड़ जमीन यूं ही पड़ी हुई है, किंतु सरकार उसकी कोई बंदोबस्ती नहीं कर रही. भूमि सुधार को ले कर बंद्योपाध्याय कमीशन की रिपोर्ट को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. किसानों का धान का बकाया भुगतान नहीं हो रहा. बिहार में किसान आत्महत्या नहीं करते थे, किंतु अब यह परंपरा भी शुरू हो गयी है.

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