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हिंदू पिता ने मुसलिम मानस पुत्री का कराया निकाह
पंकज भारतीय पूर्णिया : कुछ रिश्ते बड़े ही खास होते हैं जिन्हें नाम देना आसान नहीं होता है. ऐसे रिश्तों को केवल महसूस किया जा सकता है, जीया जा सकता है और जेहन में धरोहर की तरह संजोया जा सकता है. ऐसे ही एक खास रिश्ते को जीया है जिला मुख्यालय स्थित झंडा चौक निवासी […]
पंकज भारतीय
पूर्णिया : कुछ रिश्ते बड़े ही खास होते हैं जिन्हें नाम देना आसान नहीं होता है. ऐसे रिश्तों को केवल महसूस किया जा सकता है, जीया जा सकता है और जेहन में धरोहर की तरह संजोया जा सकता है.
ऐसे ही एक खास रिश्ते को जीया है जिला मुख्यालय स्थित झंडा चौक निवासी उपेंद्र गुप्ता ने, जिसने अपनी मानस पुत्री जो धर्म से मुसलमान थी, की न केवल परवरिश की बल्कि अपनी चौखट से खुशी-खुशी निकाह के बाद उसे रुखसत भी किया.
श्री गुप्ता समाज के प्रगतिशील विचारों के लोगों के बीच नजीर बन गये हैं.
चार वर्ष की उम्र में अनाथ हुई थी शब्बो : वर्ष 1995 में शबाना परवीन उर्फ शब्बो के सिर से मां का साया भी उठ गया. उस समय वह केवल चार साल की थी. वर्षो पूर्व पिता का भी इंतकाल हो गया था. अम्मी की मौत के बाद शब्बो की परवरिश एक बड़ा सवाल था.
ऐसे में मुहल्ले के ही व्यवसायी उपेंद्र गुप्ता ने शब्बो को अम्मी और अब्बा का प्यार देने का फैसला किया. इसके बाद शब्बो गुप्ता परिवार का हिस्सा बन गयी.
चुनौती का किया सामना : धर्म की दीवार को लांघ कर मानस पिता बनना उपेंद्र गुप्ता के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. बीस वर्ष के दौरान कई बार धार्मिक मान्यताएं भी आड़े आयी. लेकिन, इरादे की डोर से बंधे रहने की दृढ़ इच्छाशक्ति ने मंजिल तक पहुंचाया.
धर्म पिता ने अदा किया मेहर
उपेंद्र गुप्ता को शब्बो के दूल्हे की तलाश में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. यहां भी धर्म की दीवार सामने आयी. मुसलिम परिवार में दूल्हे का हाथ मांगने जब भी गुप्ता पहुंचे, उन्हें अजीबोगरीब सवालों का सामना करना पड़ा.
अंतत: उनकी मेहनत रंग लायी और सज्जाद कॉलोनी के पेशे से ट्रैक्टर मेकेनिक मो. निहाल से 20 मई को शब्बो का निकाह हो गया. इस मौके पर हिंदू धर्मावलंबी सराती बने, तो मुसलिम धर्मावलंबी बरात के रूप में गुप्ता के घर पहुंचे. गुप्ता ने मेहर के रूप में 41 हजार रुपये और एक अशरफी चुकाया.
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