हाफिज सैयद आलम ने बताया किशब-ए-बरात अल्लाह की इबादत की रात मानी जाती है. इस रात अपने गुनाहों की माफी के लिए अल्लाहताला की इबादत करते हैं.
अल्लाह पूरी रात अपनी दया, रहमत व कृपा की बारिश करते हैं. इसलिए अच्छा कपड़े पहन कर इत्र, सुरमा लगाएं. फकीर व गरीब मिस्कीन की मदद करें. मुर्दो की बक्शाइश के लिए दुआ करें, बीमार से ग्रस्त को देखने जाएं. उम्र के छुटे फर्ज नमाजों को पढ़ें, नफिल नमाज पढ़े, कब्रिस्तान जाएं, फातिहा पढ़ें और नेक काम को अंजाम दें.