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पहले खुद में सुधार करें देश के नेता

भ्रष्टाचार भारत ही नहीं, दुनियाभर में कैंसर का रूप धारण कर चुका है. केंद्र सरकार द्वारा सरकारी कर्मियों को केंद्रित कर भ्रष्टाचार निरोधक कानून बनाया गया है. सर्वविदित है कि हर भारतीय किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार में लिप्त है. हर भारतीय के दिलो-दिमाग में भ्रष्टाचार के रोग का कीटाणु स्थायी रूप से निवास […]

भ्रष्टाचार भारत ही नहीं, दुनियाभर में कैंसर का रूप धारण कर चुका है. केंद्र सरकार द्वारा सरकारी कर्मियों को केंद्रित कर भ्रष्टाचार निरोधक कानून बनाया गया है. सर्वविदित है कि हर भारतीय किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार में लिप्त है. हर भारतीय के दिलो-दिमाग में भ्रष्टाचार के रोग का कीटाणु स्थायी रूप से निवास कर चुका है.
भारत देवी-देवताओं का देश है. हर भारतीय देवी-देवताओं में आस्था रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं. आश्चर्य की बात है कि पूजा-पाठ करनेवाले भारतीय मौकापरस्त हैं.
इन्हें जब भी अवैध तरीके से धन कमाने का मौका मिलता है, वे भगवान, देवी-देवता को भूल जाते हैं और संस्कार, न्याय, उचित-अनुचित के बंधन से मुक्त होकर अरबपति बनने के शॉर्टकट रासते पर चल पड़ते हैं. पूजा-पाठ, नियम-कानून भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अपने आप में नाकाफी है.
अपनी सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है. इस कहावत का असर देशवासियां पर नहीं हो सकता है. बस दलदल से निकलने में राजनेता एवं आइएएस व आइपीएस की बड़ी भूमिका हो सकती है. इनको उपलब्ध शक्ति सरकारी कर्मी या अन्य भारतीय को इसमें लिप्त होने से प्रभावपूर्ण तरीके से रोक सकता है. भ्रष्टाचार निरोधक कानून को प्रभावपूर्ण तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए नेता, आइएएस व आइपीएस को आगे आना होगा.
विशेष कर राजनेताओं को आगे आना होगा. खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त रखते हुए आइएएस व आइपीएस को सुधार सकते हैं और इनके सुधरने से सरकारी कर्मी व अन्य को आसानी से सुधारा जा सकता है. सरकारी कर्मचारियों में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे स्वच्छ छवि के आइएएस व आइपीए के अधीन रह कर भ्रष्टाचार कर सके.
मंजू संडील, जमशेदपुर

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