दिनेश केडिया
रांची : झारखंड में जीवन बीमा करानेवालों की संख्या में कमी आयी है. इसके साथ ही कंपनियों को मिल रहे प्रीमियम में भी लगातार कमी आ रही है. पिछले साल की तुलना में बीमा करानेवालों की संख्या में 14 प्रतिशत की कमी आयी है.
वहीं प्रीमियम में चार चाल के दौरान 30 प्रतिशत तक की कमी आयी है. जानकारों के अनुसार प्रीमियम में कमी का प्रमुख कारण बीमा को लेकर लोगों में आ रही जागरूकता को माना जा रहा है. जीवन बीमा करानेवालों की संख्या 2010 से 2013 तक बढ़ रही थी. पिछले साल इसमें एकाएक गिरावट आयी है.
घटी प्रति व्यक्ति प्रीमियम की राशि: बीमा करानेवालों की संख्या में कमी के साथ ही बीमा के लिए प्रति व्यक्ति प्रीमियम में भी कमी आयी है. वर्ष 2010-11 के दौरान जहां प्रति व्यक्ति प्रीमियम 17,033 रुपये था, वह 2013-14 में घट कर 12,635.72 रुपये पहुंच गया. इसके साथ ही अब जीवन बीमा लेनेवाले वैसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो टर्म पॉलिसी लेते हैं. इसमें कम प्रीमियम पर लोगों को ज्यादा कवरेज मिलता है. फाइनांस एक्सपर्ट ललित त्रिपाठी के अनुसार कुछ एजेंट गलत बातें बोल कर बीमा बेचते थे, अब उसमें कमी आ गयी है.
लोग जागरूक हो गये हैं. इसके अलावा निवेश के लिए पहले लोग बीमा कराते थे. अब जीवन बीमा के लिए टर्म इंश्योरेंस ले रहे हैं और निवेश के लिए अलग-अलग तरह के रास्ते अपना रहे हैं. इससे उन्हें बीमा व बेहतर रिटर्न दोनों का लाभ मिल पा रहा है. बीमा प्रीमियम में कमी का यह बड़ा कारण है.
निजी कंपनियों के बीमा कार्यालय भी हुए कम
न केवल बीमा करानेवालों की संख्या और प्रीमियम में कमी आयी है, निजी कंपनियों के कार्यालय भी बंद हुए हैं. वर्ष 2006-07 के दौरान राज्य में निजी कंपनियों के 68 कार्यालय थे, वे 2011-12 तक बढ़ कर 174 पहुंच गये.
अब घटती मांग के कारण निजी कंपनियों ने अपने कार्यालयों की संख्या कम करनी शुरू कर दी है. अभी निजी बीमा कंपनियों को 160 कार्यालय राज्य में हैं. वहीं, भारतीय जीवन बीमा निगम के कार्यालयों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. एक साल के दौरान ही कंपनी के राज्य में कार्यालयों की संख्या 71 से बढ़ कर 111 हो गयी है.