पाकिस्तान के लाहौर स्थित गद्दाफी स्टेडियम के निकट कल रात हुए आत्मघाती हमले में चार लोग घायल हो गये. इस हमले को रोकने की कोशिश करने वाले पुलिसकर्मी की मौत हो गयी है. जिस वक्त यह हादसा हुआ, स्टेडियम में पाकिस्तान और जिंबाब्वे के बीच एकदिवसीय मैच खेला जा रहा था. हालांकि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यह मानने को तैयार नहीं है कि यह आत्मघाती हमला था.
पीसीबी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बिजली के ट्रांसफार्मर में धमाका हुआ था, यह कोई आतंकी घटना नहीं है. लाहौर के पुलिस प्रमुख अमीन वेन्स ने कहा, एक ऑटो रिक्शा में रखे गये गैस सिलेंडर में विस्फोट हुआ. घटनास्थल से फॉरेंसिक नमूने एकत्र किए गए हैं ताकि विस्फोट संबंधी और जानकारी पता चल सके. उन्होंने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगा कि यह एक आत्मघाती हमला था.
छह साल बाद कोई टीम पाकिस्तान दौरे पर आयी है
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में जब श्रीलंका की क्रिकेट टीम पाकिस्तान दौरे पर थी, तो आतंकियों ने टीम बस को निशाना बनाया था. इस हमले में श्रीलंका के कई खिलाड़ी घायल हो गये थे. इस आतंकी हमले के बाद विश्व की कोई भी टीम सुरक्षा कारणों को देखते हुए पाकिस्तान आकर खेलने को तैयार नहीं थी, बावजूद इसके जिंबाब्वे ने रिस्क लिया और यहां खेलने के लिए आयी है.
जिंबाब्वे की टीम को दी गयी थी चेतावनी
जिस वक्त जिंबाब्वे की टीम ने पाकिस्तान का दौरा सुनिश्चित किया था, उसी वक्त उसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर्स महासंघ की ओर से चेतावनी दी गयी थी कि वहां जाकर खेलना खतरे से खाली नहीं होगा. लेकिन जिंबाब्वे की टीम से उस वक्त यह कहा गया था कि वह उपलब्ध कराये गये सुरक्षा उपायों से संतुष्ट है और उसे उम्मीद है कि दौरा सफल रहेगा.
क्या सुरक्षित नहीं है पाकिस्तान में खेलना
अब जबकि पूरे छह वर्ष बाद किसी अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाकिस्तान आकर खेलने का माद्दा दिखाया है, एक बार फिर विस्फोट जैसी घटना से उनका मनोबल गिरना स्वाभाविक है, साथ ही यह सवाल भी लाजिमी है कि क्या पाकिस्तान में खेल संभव नहीं है. पाकिस्तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के तमाम दावों के बावजूद वहां स्टेडियम के बाहर विस्फोट हो जाना और एक व्यक्ति की जान चली जाना गौर करने वाली बात है.
क्या पाकिस्तान में समाप्त हो जायेगा खेल
सुरक्षा के तमाम बंदोबस्त को धकियाते हुए जिस प्रकार आतंकी अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, ऐसे में कोई भी देश अपने खिलाड़ियों को यहां खेलने के लिए भेजगा इसकी उम्मीद कम ही है. ऑस्ट्रेलिया जैसे देश तो सुरक्षा को हमेशा ही बड़ा मसला बनाते रहे हैं. इस परिदृश्य में पाकिस्तान में खेल का भविष्य कैसा होगा बता पाना मुश्किल है.