संग्रामपुर : प्रकृति की मार से त्रस्त किसान आज भी सरकारी पचड़े से परेशान हैं. किसानों का कहना है कि अपने धान को इस बार बिचौलियों के बजाय सरकार के निर्देश पर पैक्स को बेचा. अब तीन माह बाद तक धान की राशि नहीं मिला पा रही है. एक ओर सरकार किसानों को राहत और अनुदान देकर वाहवाही बटोरती है.
वहीं दूसरी ओर धान का पैसा देने में सरकार आनाकानी कर रही है. वर्तमान में प्रकृति की मार से बरबाद हो चुकी गेहूं की फसल की क्षति-पूर्ति के लिए सरकार किसानों को 5400 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान पहुंचा रही है. कुछ किसान तो इसे सरकार की चुनावी चाल मान रहे हैं. गेहूं फसल के अनुदान के लिए किसानों का पंजीकरण कराकर कृषि विभाग संग्रामपुर में आवेदन दिया. आवेदन के अनुरूप राशि किसानों के खेतों में डाली जानी थी.
लेकिन विभागीय त्रुटि के कारण किसानों के खाते के संबंध में सही विवरण नहीं भरे जाने के परिणामस्वरूप किसानों के खेतों में राशि नहीं पहुंच पायी है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी रामाधार चौधरी के अनुसार आवेदन के आधार पर किसानों की सूची स्टेट बैंक को भेजा जा चुका है. परंतु गलत खाता संख्या एवं आइएफएससी कोड के कारण राशि नहीं भेजा जा सका है.