इटखोरी- (1) प्रवचन करते महराज.इटखोरी. ईश्वर एक है. मनुष्य उन्हें अलग-अलग नाम से पुकारते हैं. धर्म जीवन जीने की व्यवस्था व ईश्वर को पाने का साधन मात्र है. प्राचीन काल में न तो हिंदू धर्म होता था और ना ही मुसलिम. मात्र एक ही धर्म होता था. प्राचीन काल में जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए तथा लोक परलोक संवारने के लिए जो सिद्धांत थे उसे ही धर्म कहा जाता है. उक्त बातें जूना अखाड़ा के महा मंडलेश्वर डॉ उमाकांता नंद सरस्वती जी महाराज ने खरौधा में रामकथा के दौरान कही. उन्होंने कहा कि धर्म को कर्तव्यों के रूप में भी माना जाता है. धर्म को प्रकृति के रूप में भी पूजा जाता है. उन्होंने कहा कि धर्म सत्य, ईश्वर व प्रेम है.कौन है उमाकांतानंद जी: रामकथा वाचक डॉ उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज को महामंडलेश्वर की उपाधि मिली है. स्वामी जी 26 वर्षों से रामकथा कह रहे हैं. उन्होंने 40 देशों की यात्रा की है. तीन दर्जन जेलों में कैदियों के बीच प्रवचन कर उनका हृदय परिवर्तन करा चुके हैं.यज्ञ में उमड़ रही भीड़: खरौधा में आयोजित नौ दिवसीय देवी प्राण-प्रतिष्ठा सह चंडी महायज्ञ के अवसर पर गुरुवार को भक्तों की भीड़ रही. परिक्रमा करने वालों की कतार लगी रहती है.
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राम कथा में जुट रही है लोगों की भीड़
इटखोरी- (1) प्रवचन करते महराज.इटखोरी. ईश्वर एक है. मनुष्य उन्हें अलग-अलग नाम से पुकारते हैं. धर्म जीवन जीने की व्यवस्था व ईश्वर को पाने का साधन मात्र है. प्राचीन काल में न तो हिंदू धर्म होता था और ना ही मुसलिम. मात्र एक ही धर्म होता था. प्राचीन काल में जीवन को सुचारु रूप से […]
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