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गुर्जर विरोध प्रदर्शन पर हाइकोर्ट ने सीएस-डीपीजी को लताडा, वार्ता के लिए जयपुर रवाना हुए बैंसला

जयपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक भी गुर्जर प्रदर्शनकारी को गिरफ्तार नहीं कर पाने और अलोकतांत्रिक प्रदर्शन से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति देने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की आज खिंचाई की.गुर्जरों के विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्य में सडक एवं रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं जिसके कारण […]

जयपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक भी गुर्जर प्रदर्शनकारी को गिरफ्तार नहीं कर पाने और अलोकतांत्रिक प्रदर्शन से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति देने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की आज खिंचाई की.गुर्जरों के विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्य में सडक एवं रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं जिसके कारण आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.उधर, राज्य सरकार से वार्ता के लिए गुर्जर नेता किरोडीमल बैंसला आज जयपुर रवाना हुए हैं.
उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से कहा कि वे सभी सडकों और रेल मार्गों से अवरोध हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें. अदालत ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कल तक शपथ पत्र जमा करके यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई. अदालत ने उनसे कहा कि वे गुर्जर के विरोध प्रदर्शन के कारण निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी मुहैया कराएं. गुर्जर सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
अदालत की एकल पीठ ने कहा, आप मुख्य सचिव और डीजीपी नौकरशाही और कानून व्यवस्था तंत्र के प्रमुख होने के नाते गुर्जर प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक वार्ता के केवल दर्शक बने रहने के लिए बाध्य नहीं हैं.
आरएस राठौड ने कहा, हम इन अलोकतांत्रिक प्रदर्शनों से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति नहीं दे सकते. ऐसा प्रतीत होता है कि आप दोनों आम लोगों की मुश्किलों को लेकर संवेदनहीन हो गए हैं. हम स्पष्ट शब्दों में आपसे यह कह रहे हैं कि अदालत यह देखना चाहती है कि अवरोधकों को आज तत्काल हटाया जाए और रेल पथ एवं राजमार्ग को रातभर आवाजाही के लिए साफ किया जाए और जब हम यह कह रहे हैं तो हमें गंभीरता से लिया जाना चाहिए. यह आदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के उल्लंघन को लेकर कर्नल किरोडी एस बैंसला समेत गुर्जर नेताओं के खिलाफ 2008 से लंबित अवमानना याचिका के संबंध में आया है.
कोटा मंडल में रेल विभाग के डीआरएम और रेलवे पुलिस बल के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी अदालत में मौजूद थे. अदालत ने प्रभावित इलाकों में प्रदर्शनकारियों को रेल पटरियों से फिश प्लेट हटाने से रोकने में आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की निष्क्रियता पर भी नाखुशी जताई. इसके कारण दिल्ली और जयपुर के बीच रेल यातायात बाधित हो गया है. न्यायमूर्ति राठौड ने कहा, राज्य प्रशासन ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेडने के लिए कडे प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन एक भी नामजद व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया है और न ही जांच शुरू की गई है.
पीठ ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कल तक एक शपथपत्र दाखिल करके यह स्पष्ट करने का आदेश दिया कि गुर्जर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई. अदालत ने उनसे निजी और सार्वजनिक संपत्ति को हुए वास्तविक नुकसान की विस्तृत जानकारी भी देने को कहा है.
कोटा में रेल विभाग के डीआरएम को भी शपथपत्र दायर करके यह स्पष्ट करने का आदेश दिया गया है कि रेल संपत्ति की रक्षा करने के लिए समय पर कदम क्यों नहीं उठाए गए और रेल पटरियों के लिए तैनात आरपीएफ के जवान क्या कर रहे थे. पीठ ने अधिकारियों के निजी पेशी से छूट संबंधी अनुरोध भी अस्वीकार कर दी. पीठ ने कहा, रेल और सडक यातायात सुचारु किए जाने तक उन्हें अदालत में पेश होना होगा अन्यथा कार्रवाई की जाएगी.
राजस्थान सरकार ने गुर्जर नेता को लिखा पत्र
राज्य सरकार ने बैंसला को देर रात पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार विशेष पिछडा वर्ग के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण देने के अपने संकल्प के लिये प्रतिबद्ध है, लेकिन 21 प्रतिशत के अन्य पिछडा वर्ग के आरक्षण में से 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना सामाजिक समरसता के प्रतिकूल होगा. सरकार ने पत्र में स्पष्ट तौर से कहा गया है कि राज्य सरकार राजस्थान अनुसूचित जाति, अनसूचित जनजाति, पिछडा वर्ग, विशेष पिछडा वर्ग और आर्थिक पिछडा वर्ग : राज्य की शैक्षिक सस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण : अधिनियम 2008 की मूल भावना के अनुरुप गुर्जर आरक्षण पर विचार करने के लिये संकल्पबद्ध है. राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि संविधान की धारा 16 : 4 : ए तथा 16 : 4 : बी के प्रावधानों के अनुसार 50 प्रतिशत के आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करते हुए भी आरक्षण दिया जा सकता है.
इन्द्रा साहनी बनाम केंद्र सरकार मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार राज्य सरकार विशेष पिछडा वर्ग को 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करते हुए भी आरक्षण दे सकती है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में भी विशेष पिछडा वर्ग को एक प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है और शेष 4 प्रतिशत पदों के आरक्षरण का लाभ दिलवाने के लिये कार्मिक विभाग द्वारा पहले ही उचित आदेश जारी किए जा चुके हैं. यह आरक्षण अनारक्षित पदों एवं अन्य पिछडा वर्ग के पदों के विरुद्ध प्राप्त होने वाले लाभ के अलावा है.

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