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मौत की सजा के बाद नहीं खत्म हो जाता जीने का अधिकार, रखें गरिमा का ख्याल : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में उत्तरप्रदेश के अमरोहा जिले में 10 महीने के बच्चे सहित परिवार के सात लोगों की नृशंस हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा पाने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी की सजा देने के लिए जारी मौत के वारंट को निरस्त कर दिया. शीर्ष […]
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में उत्तरप्रदेश के अमरोहा जिले में 10 महीने के बच्चे सहित परिवार के सात लोगों की नृशंस हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा पाने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी की सजा देने के लिए जारी मौत के वारंट को निरस्त कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि मौत का वारंट अनिवार्य दिशा निर्देशों का पालन किये बिना जल्दी में जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा की पुष्टि के साथ किसी के जीने का अधिकार खत्म नहीं हो जाता.
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके सीकरी और उदय यू ललित की अवकाशकालीन पीठ ने बुधवार को कहा कि सत्र अदालत ने दोषियों की उपलब्ध कानूनी उपाय खत्म होने का इंतजार किये बिना ही सजा पर अमल के लिए वारंट जारी कर दिया, जो उचित नहीं है.
जस्टिस एके सीकरी व जस्टिस उदय यू ललित की पीठ ने कहा कि मौत की सजा की पुष्टि होेने के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 21 में दिये गये जीने का अधिकार खत्म नहीं हो जाता. इसलिए मौत की सजा पर पूर्ण गरिमा से अमल किया जाना चाहिए.
इस सुनवायी के दौरान उत्तरप्रदेश सरकार ने स्वीकार किया इस संबंध में जारी वारंट त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि इसमें निर्धारित दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया गया. मालूम हो कि अमरोहा के सत्र न्यायाधीश ने शबनम व उसके प्रेमी सलीम की मौत की सजा की पुष्टि होने के मात्र छह दिन के बाद ही 21 मई को हडबडी में दोनों को सजा पर हमल के लिए वारंट जारी कर दिया. उनके मौत के फैसले पर 15 मई को फैसला हुआ था. जिसके बाद उन्हें नियमत: 30 दिन का समय पुनर्विचार याचिका के लिए मिलना चाहिए. पर, यह अवसर नहीं मिला.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शबनम के वकील ने मीडिया से कहा है कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका जल्द दायर की जायेगी. मालूम हो कि सलीम व शबनम विवाह करना चाहते थे, पर उनके शबनम के परिजन इस रिश्ते के खिलाफ थे. जिसके बाद 15 अप्रैल 2008 को दस महीने के बच्चे सहित शबनम ने प्रेमी के साथ मिल कर साल लोगों की हत्या कर दी थी.
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