नयी दिल्ली : मुद्रास्फीति में कमी और राजकोषीय घाटे के नियंत्रण में होने का हवाला देते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने आज रिजर्व बैंक द्वारा अगले सप्ताह पेश होने वाली मौद्रिक नीति की समीखा में मुख्य दरों में कटौती की जरुरत पर जोर दिया. सुब्रमणियन ने कहा कि चीन और अन्य देशों द्वारा ब्याज दरों में जोरदार ढंग से कमी के मद्देनजर भारत को भी उसकी अपनी मुद्रा की विनियम दर को और प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए पहल करने की जरुरत है.
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘मुद्रास्फीति के अनुमान, राजकोषीय घाटे एवं अंतरराष्ट्रीय माहौल की स्थिति को देखते हुए मौद्रिक नीति को कैसी पहल करनी चाहिए. मुझे लगता है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है.’’ भारतीय रिजर्व बैंक दो जून की दूसरी दोमाही नीतिगत समीक्षा की घोषणा करने वाला है जिसमें केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति और अन्य आर्थिक मानकों को ध्यान में दखकर ब्याज दरों के संबंध में पहल करेगा.
सुब्रमणियन ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘मुद्रास्फीति का स्तर आरबीआई के अनुमानों से कम रहेगा. राजकोषीय नीति अनुकूल है और इसका आने वाले दिनों में ब्याज दरों पर असर होगा.’’ चीन की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि वह देश डालर खरीदकर मुद्राभंडार बढा रहा है और अपनी ब्याज दरें जोर-शोर से कम कर रहा है ताकि अपनी मुद्रा को और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके तथा वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके.
सुब्रमणियन ने कहा ‘‘ऐसा नहीं है कि जो भी चीन करता है उसकी नकल करनी चाहिए लेकिन यह सीख है जो हमें सीखने की जरुरत है. याद रखें कि चीन अब अपनी वृद्धि में नरमी पर काबू पाने के लिए जोरदार ढंग से ब्याज दरों में कटौती कर रहा है और इससे उसकी मुद्रा की विनिमय दर और प्रतिस्पर्धी होगी. इसलिए हमें इसके मुताबिक पहल करने की जरुरत है.’’ इसके अलावा ज्यादातर देश अपनी मुद्राओं को प्रतिस्पर्धी और सस्ती बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा ‘‘सवाल यह है कि हमें कैसी पहल करनी चाहिए. हमें रक्षात्मक पहल करनी चाहिए और इसे अपने प्रदर्शन को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए. कम से कम हूं अपनी मुद्रा को और गैर-प्रतिस्पर्धी नहीं होने देना चाहिए.’’ उन्होंने कहा ‘‘यदि हम मेक इन इंडिया को दीर्घकालिक सफलता में तब्दील करना चाहते हैं तो हमें रपए को प्रतिस्पर्धी रखना चाहिए. हमारी मुद्रा नीति बेहद सहयोगी होनी चाहिए.’’
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