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किशोरी यादव हत्याकांड: बेटे का अपहरण व फिरौती लेने की थी योजना

भागलपुर/बांका: बांका डीएसपी के रिश्तेदार किशोरी प्रसाद यादव हत्याकांड में पुलिस को जांच में अहम जानकारी हाथ लगी है. गिरफ्तार बाराहाट के पंचायत समिति सदस्य टुनटुन का कहना है कि किशोरी के बेटे राजा का अपहरण कर फिरौती मांगने की योजना रंजीत ने बनायी थी. लेकिन ऐन मौके पर योजना बदल दी गयी और रंजीत […]

भागलपुर/बांका: बांका डीएसपी के रिश्तेदार किशोरी प्रसाद यादव हत्याकांड में पुलिस को जांच में अहम जानकारी हाथ लगी है. गिरफ्तार बाराहाट के पंचायत समिति सदस्य टुनटुन का कहना है कि किशोरी के बेटे राजा का अपहरण कर फिरौती मांगने की योजना रंजीत ने बनायी थी. लेकिन ऐन मौके पर योजना बदल दी गयी और रंजीत ने किशोरी का ही अपहरण कर लिया. रंजीत ने जब किशोरी की हत्या कर लाश को नेमुआडीह जंगल में फेंक दिया, तब उसे अपनी योजना पर पछतावा होने लगा. गाड़ी में रंजीत अपने अन्य साथियों (उत्तम, मनोज और टुनटुन) से यह चर्चा करने लगा कि किशोरी को नहीं मारना था. सिर्फ उसके बेटे को उठाना था और फिरौती के रूप में 20 लाख रुपये मांगना था. अब किशोरी को उठा कर ले आये थे तो पैसे कौन देगा?
कई बिंदु पर है पुलिस की नजर जांच
किशोरी यादव की हत्या क्यों हुई, इसका कारण आरोपी रंजीत पैसा बता रहा है. किशोरी ने रंजीत को पैसे नहीं दिये, इसलिए उसे मार डाला गया. लेकिन पुलिस के हलक में रंजीत की यह कहानी नहीं उतर रही है. पुलिस का मानना है कि अगर किशोरी से पैसे नहीं मिले तो रंजीत ने उसे मारने का जोखिम क्यों उठाया. क्या किशोरी की हत्या से रंजीत को कोई फायदा हुआ? गिरफ्तार पंचायत समिति सदस्य टुनटुन ने इस हत्या का एक और कारण बताया है. इस पर पुलिस जांच कर रही है. यह मामला किशोरी यादव के घर से जुड़ा हुआ है. अब पुलिस के अनुसंधान के बाद ही पता चल पायेगा कि क्या सचमुच में रंगदारी-फिरौती वसूलने के लिए किशोरी की हत्या हुई या इसके पीछे कोई दूसरा भी कारण है.
एक कॉल ने फेर दिया पानी
टुनटुन ने बताया कि किशोरी के एक कॉल ने रंजीत और उसके अन्य साथियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया. लॉ कॉलेज गली से किशोरी को उठाने के बाद उसे नाथनगर, अकबरनगर होते हुए बांका ले जाया गया और वहां से देवघर व मधुपुर. रात में करीब दस बजे किशोरी ने गाड़ी से ही घर पर फोन कर कहा कि उसे आने में देरी होगी, इसलिए दरवाजा बंद कर सो जाना. मैं (किशोरी) रंजीत के साथ हूं. यह सुनते ही रंजीत ने किशोरी के हाथ से मोबाइल छीन लिया और उसे ऑफ कर दिया. अगर किशोरी घर पर फोन नहीं करता तो शायद रंजीत की संलिप्तता का पता भी नहीं चलता. टुनटुन के मुताबिक, गाड़ी में 50 बार रंजीत ने अपने साथियों से कहा कि ‘चाचा को अब बता दो कि उन्हें क्यों लाये हैं.’ रंजीत के मुंह से बार-बार यह कहने पर किशोरी को उनकी मंशा भांपने में जरा भी देरी नहीं लगी.
सप्ताह भर पूर्व बस स्टैंड में बनी थी योजना
पूछताछ में रंजीत ने बताया कि सप्ताह भर पहले उत्तम, मनोज और टुनटुन के साथ सरकारी बस स्टैंड की बैठकी में किशोरी से रंगदारी वसूलने की योजना बनी थी. नवगछिया निवासी उत्तम ने यह प्रस्ताव रखा था कि किशोरी के पास बहुत पैसे हैं, इसलिए उससे वसूली करना है. इसके लिए रंजीत को मोहरा बनाया गया है, क्योंकि रंजीत किशोरी यादव के मकान के सामने रहता था और दोनों अच्छे पड़ोसी थे. किशोरी और रंजीत का एक साथ साथ उठना-बैठना तक होता था.
रंजीत और उत्तम ने मिल कर की हत्या
टुनटुन ने बताया कि उसकी नयी ऑल्टो कार से किशोरी को सीधे मधुपुर ले जाया गया. गाड़ी में मेरे अलावा मनोज और उत्तम भी था. मनोज जल संसाधन विभाग में ओवरशियर के पद पर कार्यरत बताया जाता है. टुनटुन ने बताया कि नाथनगर तक उसने गाड़ी चलायी. फिर उत्तम ने उसे पिस्तौल सटा दिया. इसके बाद गाड़ी उत्तम चलाने लगा. मधुपुर तक उत्तम गाड़ी चला कर ले गया. नेमुआडीह जंगल के पास रंजीत और उत्तम ने किशोरी को गाड़ी से उतारा. मैं और मनोज गाड़ी में बैठे रहे. किशोरी को जंगल में ले जाकर मार डाला गया. 10-15 मिनट रंजीत और उत्तम जंगल से लौटे. साथ में किशोरी को न देख टुनटुन ने पूछा भी कि चाचा जी कहां गये? इस पर रंजीत ने जबाव दिया कि उन्हें उचित स्थान पर पहुंचा दिया गया. रात में रंजीत अपने साथियों के साथ बांका लौट आया. बांका में रंजीत, उत्तम और मनोज टुनटुन की गाड़ी से उतर गये. इसके बाद टुनटुन गाड़ी लेकर अपने घर चला गया. टुनटुन ने कहा कि इस हत्या में उसकी कोई संलिप्तता नहीं है. रंजीत ने पहले यह भी नहीं बताया कि किशोरी का अपहरण करना है, इसलिए गाड़ी चाहिए.

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