सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार तो आम हो ही गयी है, लेकिन अब रेलवे में भी इसका बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है. रेलवे का रिजर्वेशन आम आदमी से जुड़ा हुआ है. मगर यहां भी भ्रष्टाचार की बू आती है.
पहुंचवालों का रिजर्वेशन टिकट झट से कन्फर्म हो जाता है. वहीं, साधारण नागरिक को तत्काल टिकट से ही काम चलाना पड़ता है. एक्सप्रेस ट्रेनों में साधारण कोचों की जो स्थिति है, वह किसी से छुपी नहीं है. इसमें कब सुधार होगा, किसी को पता नहीं. इसमें यात्री जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस कर भरे होते हैं.
रेलवे के प्लेटफॉर्मो का रख-रखाव और उसकी साफ-सफाई का काम भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ाता हुआ नजर आता है. रेल मंत्री साहब से अनुरोध है कि जनरल बोगियों में कम से कम लोगों के बैठने की व्यवस्था भी कर दीजिए.
चंद्रशेखर कुमार, खलारी, रांची