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CAG की रिपोर्ट में साजिश के तहत आया मेरा नाम, आरोप साबित हुए तो दे दूंगा इस्तीफा : नितिन गडकरी

नयी दिल्ली : केन्द्रीय सड़क एवं राजमार्ग तथा पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आज एक इंटरव्यू में कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की हाल की जिस रिपोर्ट में उनका नाम सामने आया है, उसके पीछे उन्हें साजिश नजर आती है क्योंकि ऑडिट रिपोर्ट के मसौदे में उनके नाम का जिक्र नहीं है. […]

नयी दिल्ली : केन्द्रीय सड़क एवं राजमार्ग तथा पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आज एक इंटरव्यू में कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की हाल की जिस रिपोर्ट में उनका नाम सामने आया है, उसके पीछे उन्हें साजिश नजर आती है क्योंकि ऑडिट रिपोर्ट के मसौदे में उनके नाम का जिक्र नहीं है.
गडकरी ने कहा कि जो मसौदा रिपोर्ट नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के पास टिप्पणी के लिए गयी थी, उसमे मेरा नाम नहीं था लेकिन अंतिम रिपोर्ट में उनका नाम प्रकाशित किया गया है. गडकरी ने कहा कि वह ऐसा कहकर कैग पर कोई प्रश्न नहीं खड़ा कर रहे हैं लेकिन ऑडिट रिपोर्ट में न तो टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले और ना ही कोयला घोटाला मामले में कंपनियों के निदेशकों पर कोई आरोप लगाया गया है.
गौरतलब है कि इससे पूर्व इस महीने आधिकारिक ऑडिटर ने गडकरी से जुडी कंपनी नागपुर स्थित पूर्ति सखार करखाना लिमिटेड को 48.65 करोड रुपये ऋण देने में वित्तीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के संबंध में सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) की खिंचाई की थी.
गडकरी ने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि मेरा नाम ऋण लेने के संदर्भ में आया है लेकिन कैग की रिपोर्ट में टूजी घोटाले में शामिल कंपनियों के निदेशकों के नाम नहीं आए. इसी तरह से कोयला घोटाला मामले में सीबीआइ ने जिन मामलों में कार्रवाई की, उन कंपनियों के निदेशकों के नाम भी कैग की रिपोर्ट में नहीं आए.
गडकरी ने ये भी कहा कि इतना ही नहीं कैग की इस रिपोर्ट में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कपंनियों द्वारा जमीन खरीद में अनियमितता के बारे में भी कोई इशारा नहीं किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि कैग की रिपोर्ट में राबर्ट वाड्रा की कंपनी का नाम दिया गया है, लेकिन उनका नाम निदेशक के रुप में नहीं है. दूसरी तरफ जब मैंने ऋण लेकर वापस कर दिया है और कोई अनियमितता या अवैध चीज नहीं हुई. इसके अलावा सभी तरह की मंजूरी प्राप्त करने के बावजूद मेरा नाम रिपोर्ट में आया है.
जब गडकरी से ये पूछा गया कि क्या ये किसी की साजिश है तो गडकरी ने कहा कि यह पता लगाना मीडिया का काम है. उन्होंने कहा कि मैं कैग पर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो मुझे समझ में नहीं आ रहीं हैं. एक तरफ ऐसी कंपनियां हैं जो सीबीआइ जांच का सामना कर रही हैं और उनके निदेशकों के नामों का उल्लेख नहीं किया गया. जबकि दूसरी तरफ मेरे मामले में हम उन 29 कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने ऋण के अधिकांश हिस्से की अदायगी की है लेकिन फिर भी मेरा नाम रिपोर्ट में आ जाता है.
गडकरी से जुड़ी कंपनी को भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड ने मार्च 2002 में नागपुर में 22 मेगावाट की बिजली परियोजना स्थापित करने के लिए 48.65 करोड रुपये का ऋण दिया था. कंपनी के बारे में सफाई देते हुए गडकरी ने कहा कि मैं कोई कारोबारी नहीं हूं और न ही कोई उद्योगपति हूं. मैं सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं.
2004 में हमने अपने क्षेत्र में एक चीनी मिल स्थापित की. इसका 16 सहकारी बैंकों ने वित्त पोषण किया. स्टेट बैंक ऑफ इंदौर और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने इथेनोल से संबंधित हिस्से का वित्तपोषण किया जबकि इरेडा ने बिजली संयंत्र से जुडे हिस्से का वित्तपोषण किया था. बाद में कुछ कारणों से हमें दो चीनी मिलों को बंद करना पडा और बिजली संयंत्र को बदलकर कोयला से जोड दिया गया क्योंकि इन्हें चीनी के संबंध में गन्ने की खोई की आपूर्ति करनी थी.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, हमने निर्णय किया कि चूंकि गन्ने की खोई नहीं है, इसलिए इस संयंत्र को कोयला आधारित कर दिया जाए. इस कारण से हमने इरेडा को हरित बिजली के लिए ऋण के वास्ते आवेदन लिखा कि हम आपका ऋण लौटाना चाहते हैं. गडकरी ने कहा, इसके बाद हमने दूसरे बैंकों से ऋण लिया. हमने इरेडा से 46 करोड रुपये ऋण लिया था और ब्याज लागत के साथ देनदारी 84 करोड रुपये थी. इस कर्ज के एकबारगी निपटारे के तहत हमने 72 करोड रुपये लौटा दिए थे.
गडकरी ने तत्कालीन यूपीए सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह सब तब हुआ तब संप्रग सरकार सत्ता में थी. इसलिए कैग की यह रिपोर्ट संप्रग सरकार के खिलाफ है. पीएसकेएल के खिलाफ मामला गलत है और मैं कह चुका हूं कि अगर यह साबित होता है तब मंत्रीपद और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगा. गडकरी ने कहा, इससे पहले भी मुझे निशाना बनाया गया था. संप्रग सरकार मेरे पीछे लगी थी. साल 2012 में ही मैंने कंपनी में निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था फिर भी मेरा नाम इसमें घसीटा गया है.

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