श्री घोष ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने उनकी बात नहीं सुनी. बाद में श्री घोष ने प्रेस कार्नर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें पार्टी ने निलंबित किया है, निष्कासित नहीं किया है. अब भी वह तृणमूल कांग्रेस में ही हैं.
एक विधायक के रूप में उनके मौलिक अधिकार अब भी हैं. चूंकि पार्टी ने उन्हें निकाला नहीं है. इस कारण सत्तारूढ़ दल के साथ ही उनकी सीट रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह एक विधायक के अधिकार की लड़ाई है. उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष निष्पक्ष और पार्टी-राजनीति से परे होते हैं. इस कारण ही वह उनसे आवेदन करने गये थे, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गयी. उन्होंने कहा कि इस मामले पर वह वकीलों से परामर्श ले रहे हैं. परामर्श के अनुसार ही कानूनी रास्ता अपनायेंगे. विधायक पद से इस्तीफा देने के संबंध में श्री घोष ने कहा कि जब वह इस्तीफा देंगे, तो सभी को इसकी जानकारी देंगे. फिलहाल इस संबंध में उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया है.