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जयराम रमेश बोले, इस साल राहुल बन सकते हैं कांग्रेस के अध्यक्ष

हैदराबाद: कांग्रेस के भीतर कांग्रेस नेतृत्व को लेकर लगातार अटकलें जारी है. विशेषकर पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से मिली करारी हार और साथ ही कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भी मिली शिकस्त के बाद से यह मामला और भी गंभीर हो गया कि आखिर कांग्रेस में नेतृत्व किसको सौंपा जाय. कांग्रेस का […]

हैदराबाद: कांग्रेस के भीतर कांग्रेस नेतृत्व को लेकर लगातार अटकलें जारी है. विशेषकर पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से मिली करारी हार और साथ ही कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भी मिली शिकस्त के बाद से यह मामला और भी गंभीर हो गया कि आखिर कांग्रेस में नेतृत्व किसको सौंपा जाय. कांग्रेस का एक धडा चाहता है कि कमान फिल्हाल सोनिया के हाथ में ही रहे लेकिन एक अन्य धडा चाहता है कि कमान अब युवा हाथ में अर्थात राहुल गांधी को सौंप दिया जाय. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और अजय माकन जैसे नेता भी राहुल के हाथों में कमान सौंपे जाने का समर्थन कर चुके हैं.

इसी कड़ी में आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी इस साल कांग्रेस के अध्यक्ष बन सकते हैं और वह क्षेत्रीय चेहरों को आगे बढाकर भारत की इस सबसे पुरानी पार्टी को उसकी ताकत और उसके अतीत का गौरव वापस दिला सकते हैं.

रमेश ने आज यहां एक साक्षात्कार में कहा कि ‘‘मुझे उम्मीद है कि 2015 में यह हो जाएगा. हम उम्मीद कर रहे हैं कि वह कामकाज (कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में) संभालेंगे और हम आशा कर रहे हैं कि वह 2015 में यह जिम्मेदारी संभाल लेंगे.’’ उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राज्यों में नया नेतृत्व तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

रमेश ने कहा, ‘‘वह मानते हैं कि हमें राज्यस्तरीय नेतृत्व चाहिए. हमें वैसी कांग्रेस पार्टी की जरुरत है जो जवाहरलाल नेहरु के समय थी, जब हमारे पास कामराज, प्रताप सिंह कैरों, वाई बी चव्हाण, बी सी रॉय, जी बी पंत जैसे नेता थे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें क्षेत्रीय नेतृत्व की जरुरत है क्योंकि हम केवल राष्ट्रीय चुनाव नहीं लड रहे बल्कि राज्यों में भी चुनाव लड रहे हैं.’’ रमेश के मुताबिक राहुल गांधी लोगों को नामित करने की संस्कृति में विश्वास नहीं रखते. वह लोगों के नेताओं के तौर पर उभरने में विश्वास रखते हैं. वह उपर से लोगों को थोपने में भरोसा नहीं करते.

रमेश ने इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के हाथों से राहुल के पास चले जाने की स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने राहुल की नेतृत्व क्षमताओं को लेकर असहमति वाले बयानों को भी तवज्जो नहीं दी.

रमेश ने कहा, ‘‘कोई पुराना नेतृत्व नहीं है. कोई युवा नेतृत्व नहीं है. केवल एक नेतृत्व है. और केवल कांग्रेस का नेतृत्व है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक संगठन को हर 20 साल, 25 साल में नवीनीकरण की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए. कांग्रेस को समाज के व्यापक वर्गों से युवा चेहरों को पेश करना चाहिए. उन्हें प्रमुख पद, अधिकार वाले पद दिये जाएं.’’ रमेश ने कहा कि काश संप्रग-1 और संप्रग-2 सरकारों में और युवा चेहरे होते. उन्होंने कहा कि पार्टी में पुरानी पीढी के पास अनुभव, राजनीतिक सोच है तो युवाओं के पास उत्साह और उर्जा है.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपको दोनों की जरुरत है. राहुल गांधी खुद इस साल 45 साल के हो जाएंगे. इसलिए वह एक आदर्श स्थिति में हैं. 45 एक सैंडविच की तरह है. जिसमें आप ना तो युवा हैं और ना ही बुजुर्ग हैं. इसलिए मेरा मानना है कि वरिष्ठ नेताओं के अनुभव के साथ युवा पीढी की उर्जा का समागम करने के लिए राहुल गांधी आदर्श स्थिति में हैं.’’राहुल द्वारा पिछले दिनों छुट्टी पर चले जाने के संबंध में रमेश ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष अब बदले हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘वह आक्रामक हैं. उन्होंने संसद में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने किसानों के मुद्दों पर विभिन्न राज्यों में पदयात्राएं कीं. मुझे लगता है कि हम एक नये राहुल गांधी को देख रहे हैं, जो सक्रिय हैं, जो अग्रसक्रिय हैं और प्रतिक्रियाशील भी हैं.’’ रमेश के मुताबिक, ‘‘मुझे विश्वास है कि वह इसे बनाये रखेंगे और यह दिखाता है कि उन्होंने आत्मनिरीक्षण के लिए जो समय लिया, उसमें उन्हें न केवल अपने से लोगों की अपेक्षाओं को समझने में मदद मिली बल्कि उनके सामने चुनौतियों को भी समझने का मौका मिला.’’

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