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उप-निदेशक की चिट्ठी पर हुआ शिक्षकों का नियोजन

रक्सौल : आदापुर प्रखंड के सात शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्रों पर नियोजन ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. इसकी जद में जिला शिक्षा कार्यालय के होने की संभावना जतायी जा रही है. फर्जी प्रमाणपत्र वाले इन शिक्षकों की बहाली का आधार उप-निदेशक माध्यमिक शिक्षा सह प्रभारी पदाधिकारी प्रमाणपत्र सत्यापन कोषांग पटना के फर्जी […]

रक्सौल : आदापुर प्रखंड के सात शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्रों पर नियोजन ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. इसकी जद में जिला शिक्षा कार्यालय के होने की संभावना जतायी जा रही है. फर्जी प्रमाणपत्र वाले इन शिक्षकों की बहाली का आधार उप-निदेशक माध्यमिक शिक्षा सह प्रभारी पदाधिकारी प्रमाणपत्र सत्यापन कोषांग पटना के फर्जी पत्र को बनाया गया था.

नियोजन के साथ ही बिहार सरकार के उन संस्थाओं के नाम प्रकाशित किये थे, जिनका प्रमाण पत्र बिहार में अमान्य था. इसमें पतंजलि विवि हरिद्वार का नाम सरकार की सूची में 11वें स्थान पर है. जबकि 23वें स्थान पर जेवियर्स अंतरराष्ट्रीय विवि बाली गोवा है.

सरकार ने पत्र में कहा है कि हरिद्वार में संस्था नहीं है, जेवियर्स अंतरराष्ट्रीय विवि बाली नाम से कोई संस्था ही नहीं है.

जबकि सातों शिक्षकों का प्रमाणपत्र इन्हीं संस्थाओं से है. सूची जारी होने के बाद जब इनका नियोजन नहीं हो रहा था, तो दो अगस्त 2010 को एक फर्जी पत्र जिला शिक्षा कार्यालय को प्राप्त हुआ, जो अजीत कुमार उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा सह सभी प्रभारी पदाधिकारी के यहां से जारी हुआ था.

इसमें लिखा था कि पत्रंक संख्या 1/स0को52 दिनांक 9 मई 2010 को जारी हुआ था. उसमें अवर शिक्षा संवर्ग व सक्षम संवर्ग के पदाधिकरियों की चूक से विवि सूची में अंकित हो गया था. क्रम संख्या 11 व 23 को सूची से निरस्त मान कर कार्रवाई की जाए. इसके आधार पर इनका नियोजन हुआ.

बीइओ ने भेजा पत्र

पत्र के सत्यापन के लिए डीइओ मोतिहारी ने एक सितंबर 2010 को उप-निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजा, जिसमें कहा गया कि आपके पत्रंक 2/स0 को 136 की प्रति पत्र के साथ भेजी जा रही है. सत्यापित कर वापस करें, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.

फर्जी मान करें कार्रवाई

पत्र के जवाब में विशेष कार्य पदाधिकारी सह प्रभारी पदाधिकारी राज्य स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन कोषांग ने कहा कि पत्र को फर्जी मान कर कार्रवाई की जाये. साथ ही फर्जीवाड़ा करने वाले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कोषांग को सूचित किया जाय. लेकिन डीइओ की ओर से प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गई. सवाल उठता है कि एक बार जब प्राधिकार से लेकर हाइकोर्ट ने फर्जी साबित कर दिया, तो दुबारा किसके आदेश से प्रमाण पत्रों को सही मान कर नियोजन कर दिया गया.

मैं कोई मास्टर नहीं हूं : डीपीओ

नियोजन के संबंध में जानकारी के लिए जब जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जयप्रकाश शर्मा के मोबाइल पर फोन किया गया तो उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि ‘इस संबंध में फोन पर कुछ नहीं बता सकता.

ऑफिशियल बात फोन पर नहीं होती. जब दोबारा उनसे कहा गया कि बुधवार को कितने बजे आपसे मिलें, तो उन्होंने जवाब दिया ‘ऑफिस का समय आपको पता है. ऑफिस में रहूंगा तो मुलाकात हो जाएगी. मैं कोई मास्टर थोड़े हूं जो दिन भर एक ही जगह रहूंगा.

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