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निगरानी से जांच कराने पर फर्जी शिक्षकों में मचा हड़कंप
सीवान : पहले प्रधान सचिव द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियोजित हुए शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के प्रमाणपत्रों की जांच का आदेश देने पर हड़कंप मचा था, वहीं अब रही-सही कसर उच्च न्यायालय ने निगरानी विभाग से कराने का आदेश दे कर पूरी कर दी है. उच्च न्यायालय द्वारा निगरानी विभाग से जांच का आदेश […]
सीवान : पहले प्रधान सचिव द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियोजित हुए शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के प्रमाणपत्रों की जांच का आदेश देने पर हड़कंप मचा था, वहीं अब रही-सही कसर उच्च न्यायालय ने निगरानी विभाग से कराने का आदेश दे कर पूरी कर दी है.
उच्च न्यायालय द्वारा निगरानी विभाग से जांच का आदेश देने के बाद उन शिक्षकों में हड़कंप मच गया है, जो फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रहे हैं और उन्हें अपनी करतूत के बारे में सही-सही जानकारी है.
यदि निगरानी विभाग अपनी जिम्मेवारियों का सही रूप से निर्वहन करता है, तो आने वाले समय में जिले में बहुत सारी सीटें रिक्त हो सकती हैं. विभाग के वरीय पदाधिकारी की बात पर गौर करें तो वे भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि राज्य के बाहर से लाये गये प्रमाणपत्र पत्रों की जांच में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
क्या है मामला : सरकार ने शिक्षकों के रिक्त पड़े स्थानों को भरने के लिये वर्ष 2006 में नियोजन प्रक्रिया प्रारंभ की थी, जिसमें अंक के आधार पर अभ्यर्थियों का नियोजन किया गया था.
इस प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेजों का जम कर इस्तेमाल किया गया था, जिसके आधार पर बड़ी तादाद में फर्जी शिक्षकों की बहाली हुई. इसकी समय-समय पर जांच की प्रक्रिया भी चलायी गयी. वर्ष 2008 में फर्जी दस्तावेज का खेल दुबारा व्यापक पैमाने पर खेला गया. पंचायत से लेकर नगर तक शिक्षकों की बहली हुई. कथित रूप से विभाग द्वारा फर्जीवाड़ा की जांच भी करायी गयी. इसके बावजूद भी अधिकतर शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच विभागीय उदासीनता या शिक्षा माफियाओं के दबाव में नहीं हो पायी. वे शिक्षक के पद पर आज भी तैनात हैं.
वर्ष 2011 में टीइटी के माध्यम से शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गयी. इस प्रक्रिया में भी व्यापक स्तर पर धांधली का खेल खेला गया, लेकिन हर बार विभागीय मिलीभगत से मामले को रफा-दफा कर दिया गया.
शिक्षा माफियाओं की शरण में फर्जी शिक्षक : निगरानी विभाग से जांच के आदेश के बाद एक तरफ जहां फर्जी शिक्षकों में हड़कंप मचा है, वहीं ये शिक्षक अपने भविष्य को बचाने के लिए शिक्षा माफियाओं के यहां हाजिरी लगा रहे हैं, जिन माफियाओं से उन लोगों ने फर्जी प्रमाणपत्र लेकर नौकरी हासिल की है. इधर, इन फर्जी नियोजित शिक्षकों से शिक्षा माफिया भी दूर रहना चाह रहे हैं.
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