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विकास के दो पुल के बीच खड़ा है बाइपास का प्रश्न

भागलपुर: विकास के लिए 14 साल ( 23 जुलाई 2001 – 17 मई 1015)लंबा समय होता है. लेकिन इतने लंबे समय में 16 किलोमीटर लंबी सड़क( बाइपास) का निर्माण नहीं हो पाया. 2001 के 23 जुलाई को भागलपुर को नवगछिया से जोड़नेवाले विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन हुआ था और आज यानी 2015 के 17 मई […]

भागलपुर: विकास के लिए 14 साल ( 23 जुलाई 2001 – 17 मई 1015)लंबा समय होता है. लेकिन इतने लंबे समय में 16 किलोमीटर लंबी सड़क( बाइपास) का निर्माण नहीं हो पाया. 2001 के 23 जुलाई को भागलपुर को नवगछिया से जोड़नेवाले विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन हुआ था और आज यानी 2015 के 17 मई को भागलपुर ( नवगछिया) को मधेपुरा से जोड़नेवाली बाबा बिशु राउत पुल ( विजय घाट पुल) का उद्घाटन हुआ. इन चौदह साल में कोसी व गंगा को तो पाट लिया गया लेकिन बाइपास निर्माण का पेच आज तक फंसा हुआ है.
गंगा अगर हमारी धार्मिक पहचान है, तो विक्रमशिला सांस्कृतिक व शैक्षणिक पहचान. उसी तरह कोसी हमारी समृद्धि से जुड़ी है, तो बाबा विशु राउत हमारी लोक संस्कृति के संवाहक हैं. गंगा व कोसी ये दो प्रमुख नदियां हमारी पहचान हैं और ये दो नदियां न जाने कितनों के लिए रोजी- रोटी का साधन भी हैं. भागलपुर व नवगछिया में तो विकास का द्वार तब खुल गया था, जब विक्रमशिला पुल चालू हुआ. विजय घाट पुल तो तरक्की का नया विहान लेकर आया है.

यह पुल गंगा व कोसी क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा. भागलपुर से लेकर मधेपुरा, व सहरसा तक यानी अंग से लेकर मिथिलांचल तक की न सिर्फ दूरी घटी है बल्कि विकास में विजय घाट पुल नया सेतु बनेगा. इधर इस विकास में बाइपास रोड़ा बना हुआ है. वाहनों के दबाव से भागलपुर शहर कराह रहा है और विशु राउत पुल चालू होने के बाद तो और कराहेगा. बाइपास का निर्माण अबतक कागजी प्रक्रियाओं में ही फंसा है. विजयघाट पुल कोसी इलाके में एक बड़ा चुनावी मुद्दा था. वह तो अब समाप्त हो गया, लेकिन बाइपास भागलपुर के लिए अब भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है.

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