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ऋषि की तरह साधक होता है कवि

फोटो : :: दीपक 12 – विवि के सीनेट हॉल में ‘बिन बादल जल बरसे’ व ‘दर्द का रिश्ता’ पुस्तकों का हुआ लोकार्पण मुजफ्फरपुर. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में रविवार को बीआरए बिहार विवि के सीनेट हॉल में कवि-कथाकार राम उचित पासवान की दो पुस्तकों ‘बिन बादल जल बरसे’ व ‘दर्द का रिश्ता’ […]

फोटो : :: दीपक 12 – विवि के सीनेट हॉल में ‘बिन बादल जल बरसे’ व ‘दर्द का रिश्ता’ पुस्तकों का हुआ लोकार्पण मुजफ्फरपुर. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में रविवार को बीआरए बिहार विवि के सीनेट हॉल में कवि-कथाकार राम उचित पासवान की दो पुस्तकों ‘बिन बादल जल बरसे’ व ‘दर्द का रिश्ता’ का लोकार्पण किया गया. समारोह की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार डॉ शिवदास पांडेय ने कहा कि राम उचित पासवान वर्षों से लिख रहे हैं. अच्छी आवाज व रचना के लिए उन्हें काफी प्रतिष्ठा मिली है. दो पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण उसी की महत्वपूर्ण उपलब्धि है. बीएन मंडल विवि के पूर्व वीसी एवं साहित्यकार डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी कवि की रचना पाठकों के बीच जब लोकप्रिय होती है तो उन्हें काफी संतोष होता है और वे समझते हैं कि उनका श्रम सार्थक हुआ. वहीं कवि डॉ महेंद्र मधुकर ने कहा कि कवि ऋषि की तरह साधना करता है. वह अपनी साधना समाज को किताब के रूप में देता है. समाज की पीड़ा को अपनी पीड़ा मान लेता है. साहित्यकार डॉ आशनारायण शर्मा ने कहा कि राम उचित पासवान की दोनों पुस्तकें अपने समय के सत्य को रेखांकित करती है. मौके पर डॉ इंदु सिन्हा, डॉ संजय पंकज, डॉ समी एकबाल, मुजफ्फर हुसैन मुजफ्फर, एचएल गुप्ता, कृष्ण मोहन प्रसाद मोहन, विमल कुमार लाभ, डॉ पंकज कर्ण, विजय शंकर मिश्र, नंद कुमार आदित्य आदि मौजूद थे. स्वागत राम उचित पासवान, मंच संचालन गणेश प्रसाद सिंह व धन्यवाद ज्ञापन रणवीर अभिमन्यु ने किया.

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